मोदी-जिनपिंग मुलाकात: यूं ही शोर मचा रहा था चीन, भारत ने खोल दी पोल

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 06 जुलाई 2017, 5:05 PM (IST)

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की जर्मनी के हैम्सबर्ग में जी20 शिखर सम्मेलन में द्विपक्षीय बैठक नहीं होगी। चीन दावा कर रहा है कि सीमा पर तनाव की वजह से यह माहौल सही नहीं है और जी20 शिखर सम्मेलन से इतर राष्ट्रपति शी जिनपिंग पीएम मोदी से मुलाकात नहीं करेंगे। लेकिन, भारत ने चीन के दावे की पोल खोल दी है। भारत ने कहा कि पीएम मोदी और शी जिनपिंग की द्विपक्षीय बातचीत का कार्यक्रम पहले से ही तय नहीं था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार से जुड़े उच्च सूत्रों ने बताया कि दोनों नेताओं के मुलाकात का कोई कार्यक्रम तय ही नहीं था।

सूत्र ने बताया कि किसी भी पक्ष ने द्विपक्षीय बैठक के लिए अनुरोध नहीं किया था इसलिए बातचीत रद्द होने का सवाल ही नहीं है। हालांकि, इससे पहले चीन ने कहा था कि हैम्बर्ग में मोदी-चिनफिंग के बीच द्विपक्षीय बातचीत के लिए माहौल सही नहीं है। आपको बात दें कि जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में शुक्रवार से जी-20 शिखर सम्मेलन की शुरूआत हो रही है। इसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी हिस्सा लेने वाले हैं। ऐसी चर्चाएं थीं कि सिक्किम सेक्टर में पिछले करीब एक महीने से भारत और चीन के सेनाओं के बीच जारी गतिरोध के हल के लिए दोनों देशों के शीर्ष नेता हैम्बर्ग में मुलाकात कर सकते हैं।

तनाव का हवाला देकर मोदी-चिनफिंग मुलाकात की संभावना को खारिज करने संबंधी चीन के बयान को भारत पर दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन भारत ने उसके झूठ का पर्दाफाश कर दिया है। गौरतलब है कि सिक्किम सेक्टर में भारत-चीन सीमा पर महीनेभर से तनाव बना हुआ है। भारत और चीन की सेना आमने-सामने है और दोनों देशों के नेताओं के बीच बयानबाजी का दौर भी जारी है। चीन के सुरक्षा विशेषज्ञ तो यह तक कह चुके हैं कि अगर भारतीय सैनिक पीछे नहीं हटे तो चीनी सैनिक उन्हें खदेड़ देंगे।

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चीन ने भारत को चेतावनी दी थी कि वह 1962 के युद्ध से सबक ले, जिसके जवाब में रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि चीन को नहीं भूलना चाहिए कि 1962 और 2017 के भारत में फर्क है। जेटली के इस बयान के जवाब में चीन के विदेश मंत्रालय ने भी बयान दिया कि चीन भी 1962 वाला नहीं है। माना जा रहा है कि अगर गतिरोध बरकरार रहा, तो हालात के अनियंत्रित होने का भी खतरा है। आने वाले कुछ वर्षो में अप्रत्याशित अमेरिका का रुख एशिया में सामरिक समीकरण निर्धारित कर सकती है।

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