धनबाद। सौ साल से जमीन के नीचे कोयले की खान में लगी आग के चलते झारखंड के
धनबाद-चंद्रपुरा रेलखंड को 15 जून से बंद कर दिया जाएगा। यह पूरा रेलखंड 34
किलोमीटर का है। खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) के फैसले पर
प्रधानमंत्री कार्यालय ने मुहर लगा दी। रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक
सिविल इंजीनियरिंग (पी) अनिल कुमार लहोटी की ओर से जारी अधिसूचना में कहा
गया है कि डीजीएमएस के निरीक्षण और अध्ययन से यह स्पष्ट है कि इस रेलखंड का
14 किमी सात कोयला खदानों में फैली भूमिगत आग से प्रभावित हैं। डीसी रेल
लाइन बंद होने से धनबाद रेल मंडल को प्रतिवर्ष तीन हजार करोड रुपये राजस्व
का नुकसान होगा। इसमें यात्री टिकट के मद में 500 करोड और लोडिंग के मद में
2500 करोड रुपया शामिल है। धनबाद-चंद्रपुरा के बीच 11 स्टेशन व हॉल्ट हैं।
यहां से प्रतिदिन लगभग 20 हजार यात्री टिकट लेकर यात्रा करते हैं।
प्रतिवर्ष लगभग 90 लाख यात्री संख्या है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि
डीजीएमएस ने यह रिपोर्ट कोयला सचिव को सौंपी थी। इसमें जान-माल की क्षति
रोकने के लिए रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन रोकने का सुझाव दिया गया था।
कोल सचिव के जरिए यह रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को मिली। इस रिपोर्ट के मद्देनजर
रेलवे बोर्ड ने इस रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन बंद करने का फैसला लिया
है। हालांकि इस रेलखंड पर चलने वाली ट्रेनों के वैकल्पिक मार्ग को लेकर अब
तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। सोमवार को यह तय होगा कि धनबाद-चंद्रपुरा
रेलखंड पर चलने वाली किन रेलों का परिचालन वाया धनबाद-गोमो-चंद्रपुरा होगा।
धनबाद रेल मंडल ने सिर्फ चार रेलों का डायवर्सन वाया गोमो का प्रस्ताव
दिया है। इनमें शताब्दी एक्सप्रेस, एलेप्पी, मौर्य व शक्तिपुंज शामिल हैं।
अन्य लगभग 16 जोडी नियमित और साप्ताहिक रेलों के डायवर्सन या कैंसिलेशन पर
निर्णय भी सोमवार को हो सकता है।
ज्ञातव्य है कि इस रूट से 24 पैसेंजर
और एक्सप्रेस ट्रेनें, जिसमें हावड़ा-रांची शताब्दी एक्सप्रेस,
रांची-गोरखपुर मौर्य एक्सप्रेस, गरीब रथ एक्सप्रेस, रांची-भागलपुर वांचल
एक्सप्रेस शामिल हैं, हर दिन गुजरती हैं। कोयले की ढुलाई करने वाले कई
रैक्स भी यहां से हर दिन गुजरते हैं। रेलमार्ग बंद होने से धनबाद चंद्रपुरा
रेल मार्ग के 11 हॉल्ट स्टेशन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जायेंगे। ये
स्टेशन हैं—कुसुंडा, बसुरिया, बांसजोड, सिजुआ, अंगारपथरा, कतरासगढ,
सोनारडीह, फुलारीटांड, जमुनियाटांड, दुगदा, टुंडू, जैसे स्टेशन प्रभावित
होंगे।
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यात्री ट्रेन के साथ मालगाडी का भी परिचालन बंद होगा। डीसी रेल
लाइन में 17 कोल साइडिंग हैं, जहां से लगभग प्रतिमाह 300 से ज्यादा रैक
कोयला उठता है और देश के विभिन्न हिस्सों में जाता है। इससे रेलवे को
प्रतिवर्ष लगभग 2500 करोड रुपया से ज्यादा का राजस्व प्राप्त होता है। 17
साइडिंग में सबसे ज्यादा सेंद्रा बांसजोड कोलियरी साइडिंग, सिजुआ कोलियरी
साइडिंग, खास कुसुंडा कोलियरी साइडिंग, कुसुंडा साइडिंग, कतरासगढ कोलियरी
साइडिंग से ज्यादा लोडिंग होती है। वहीं अंगारपथरा, बरोरा, दुग्धा कोल
वाशरी, जोगता, नोर्थ गोविंदपुर, साउथ गोविंदपुर साइडिंग से भी लोडिंग होती
है।
भूमिगत खदानों को ध्यान में रखते हुए धनबाद-चंद्रपुरा रेल
मार्ग पर कॉशन के साथ ट्रेनों का परिचालन होता है। धनबाद से चंद्रपुरा की
दूरी 34 किलो मीटर है। कॉशन के कारण 34 किमी का सफर तय करने में एक से दो
घंटा लग जाता है। इस मार्ग पर कोई भी ट्रेन 40 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से
नहीं चलती। इस रूट पर ट्रेनों की रफ्तार पर ब्रेक लगा दी गयी थी। अमूमन इस
मार्ग पर ट्रेन 17 किमी प्रतिघंटा से लेकर 30 किमी प्रति घंटा की रफ्तार
से ही चलती है। धनबाद से भाया गोमो होते हुए चंद्रपुरा की दूरी 47 किलो
मीटर है।
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