भोपाल। मध्यप्रदेश में पुलिस की गोली से छह किसानों की मौत से फैली अशांति के बाद
शांति बहाली के लिए भेल के दशहरा मैदान में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दूसरे दिन रविवार को पार्टी नेताओं और
किसानों के आग्रह पर अनशन तोड़ दिया और किसानों के हित में कई घोषणाएं कीं।
मुख्यमंत्री शिवराज शनिवार से अनशन पर थे। उन्होंने रात भी टेंट
में ही गुजारी। रविवार की सुबह केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, थावरचंद
गहलोत, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, उपाध्यक्ष प्रभात
झा, प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान सहित अन्य नेताओं ने चौहान से अनशन
खत्म करने की अपील की। उनका कहना था कि `राज्य में शांति है, शनिवार से अब
तक कोई हिंसा नहीं हुई है।`
वरिष्ठ नेताओं के आग्रह पर मुख्यमंत्री
ने पंडाल में मौजूद लोगों से भी अनशन तोड़ने की अनुमति चाही, सभी ओर से
हामी भरे जाने के बाद चौहान ने `उपवास` तोड़ दिया। पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश
जोशी ने उन्हें नारियल-पानी पिलाकर उपवास तोड़वाया।
इससे पहले शिवराज ने कहा कि वह राज्य की जनता और किसानों के लिए जीएंगे और उन्हीं के लिए मरेंगे। मुख्यमंत्री
ने कहा, कुछ असामाजिक तत्वों ने प्रदेश के माहौल को खराब कर हिंसा फैलाई
है, जिन्हें बख्शा नहीं जाएगा। इस कृत्य में कांग्रेस से जुड़े लोग भी
शामिल रहे हैं। हिंसा के दौरान जिन लोगों की संपत्ति का नुकसान हुआ है,
उन्हें प्रदेश सरकार मदद देगी, साथ ही मंदसौर घटना की उच्चस्तरीय जांच
होगी।
किसानों के हित में कई निर्णय लिए जाने का हवाला देते हुए
उन्होंने कहा कि राज्य में दूध की खरीद अमूल डेयरी के फार्मूले पर होगी,
किसानों को बिचौलियों से बचाने के लिए किसान बाजार बनेंगे और सभी फसलों की
खरीद समर्थन मूल्य पर होगी।
शिवराज ने कहा कि किसानों को किसी तरह
की समस्या नहीं होने दी जाएगी। जहां तक स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों की
बात है, तो उनमें से कई सिफारिशें सरकार पहले ही लागू कर चुकी है। सभी को
आवासीय पट्टा दिया जा रहा है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की मांग के आधार पर सरकार ने किसानों को फसल
का उचित मूल्य दिलाने के लिए एक हजार करोड़ रुपये का मूल्य स्थिरीकरण कोष
बनाने का निर्णय लिया गया है।
किसानों की कर्जमाफी की मांग का
जिक्र किए बगैर उन्होंने इशारों में ही कहा कि कर्जमाफी संभव नहीं है।
राज्य का 80 प्रतिशत किसान हर साल कर्ज लेता है और चुका देता है, महज 20
प्रतिशत किसान डिफाल्टर हैं, उन्हें भी शून्य प्रतिशत कर्ज लेने वालों की
सीमा में लाने के प्रयास होंगे।शिवराज ने स्वामीनाथन आयोग की
रिपोर्ट की सिफारिशों का हवाला देते हुए कहा कि राज्य में स्टेट लैंड यूज
एडवाइजरी कमेटी (राज्य भूमि परामर्श समिति) बनाई जाएगी, जो किसानों को फसल
की पैदावार के बारे में परामर्श देगी।
मुख्यमंत्री रविवार को भी मंच
पर उपवास पर बैठे और वहीं किसानों से अलग से बातचीत की। उनके साथ उनकी
पत्नी साधना सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया, गृहमंत्री
भूपेंद्र सिंह, महिला बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस, वरिष्ठ नेता रघुनंदन
शर्मा भी मंच पर मौजूद रहे। रविवार की सुबह भाजपा के वरिष्ठ
नेताओं ने पार्टी कार्यालय में बैठक कर हालात पर चर्चा की। उसके बाद सभी
नेता शिवराज के उपवास मंच पर पहुंचे।
राज्य में किसान आंदोलन एक से
10 जून तक चला। इस दौरान जमकर हिंसा हुई थी। सात जून को मंदसौर में पुलिस
की गोली व पिटाई से छह किसानों की मौत हुई। किसानों की मौत के बाद अशांति
फैलने पर मुख्यमंत्री ने अनशन शुरू किया, ताकि उनकी गांधीगीरी देख उग्र
किसानों का दिल पसीजे, वे शांत हो जाएं। बताया जा रहा है कि पुलिस
की गोलीबारी में मारे गए किसानों के परिजनों ने भी शनिवार की रात
मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी और उनसे अनशन खत्म करने की अपील की थी।(IANS)
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