नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन के पीछे नोटबंदी के बाद कैशलेस
लेन-देन को बढावा देना, बिजली संकट और डोडा चूरा की बिक्री पर प्रतिबंध को
अहम कारणों में गिना जा रहा है। ऎसी मीडिया में खबरें छपी हैं।
याद रहे,मध्य प्रदेश में किसान फसलों के वाजिब दाम और कर्ज माफी सहित 20
मांगों को लेकर एक जून से आंदोलन पर हैं। आंदोलन के दौरान मंदसौर, देवास,
नीमच, खरगौन, धार, इंदौर एवं उज्जैन सहित कई हिस्सों में तोडफोड, लूटपाट,
आगजनी और हिंसा हुई है, पुलिस गोलीबार व बलप्रयोग में 6 किसान जान गंवा
चुके हैं। दावा किया गया है कि पुलिस फायरिंग में मारे गए सभी किसान
पाटीदार समुदाय के थे। इस समुदाय का मंदसौर इलाके में दबदबा है।
प
श्चिमी मध्य प्रदेश के अधिकारी ने कहा,केन्द्र एवं राज्य सरकार ने पिछले
दो साल से मंदसौर एवं नीमच जिले के किसानों के डोडा चूरा बेचने पर प्रतिबंध
लगा दिया है। इसने हजारों किसानों और विशेष रूप से मजबूत माने जाने वाले
पाटीदार समुदाय के लोगों को बेरोजगार बना दिया। जानते ही हैं कि अफीम की
खेती के दौरान सूखा डोडा चूरा निकलता है जो गांवों में नशे के तौर पर सालों
से चलन में है। प्रतिबंध लगाने से पहले प्रदेश सरकार
डोडा चूरा की खेती एवं बिक्री को अवैध नहीं मानती थी ,सरकार ही डोडा बिक्री
के ठेके देती थी लेकिन अब सरकार इसे मादक पदार्थ मानकर नष्ट कर रही है।
अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार के उपज के बदले नकद पैसे की जगह डिजिटल
भुगतान करने के फैसले ने भी समस्या को बढाया। मंडियों में अपनी उपज को
बेचने पर डिजिटल भुगतान मिलने के चलते किसानों के हाथ में नकदी की कमी हो
गई है। डिजिटल भुगतान मध्यप्रदेश में हाल ही में शुरू किया गया है।
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अधिकारी के अनुसार फसलों की लागत भी अब दो कारणों से बहुत ज्यादा हो गई है। इनमें से एक कारण बिजली सप्लाई की कमी है,दूसरा कारण खाद की कालाबाजारी है। बिजली की कमी के कारण किसानों को सिंचाई के लिए डीजल पंपों का उपयोग करना पडता है। यदि किसान बिजली के बिल का तुरंत भुगतान करने में चूक जाता है तो उसका बिजली कनेक्शन काट दिया जाता है।
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