श्रीनगर के लाल चौक पर आतंक विरोधी अभियान, सेना ने चलाया CASO

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 10 जून 2017, 3:09 PM (IST)

श्रीनगर। सेना ने जम्मू कश्मीर के लाल चौक में घेराव और तलाशी अभियान (सीएएसओ) शुरू कर दिया है। इस अभियान के तहत स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप और सुरक्षा बलों के जवान बड़ी तादाद में तैनात किए गए हैं। बता दें कि लाल चौक श्रीनगर का संवेदनशील इलाका माना जाता है, यहां देश विरोधी प्रदर्शन आम बात मानी जाती है। स्थानीय मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक, इलाके में आतंकियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी के बाद सेना ने यह कदम उठाया है। लाल चौक के कोर्ट रोड और बूंद इलाके में यह सर्च ऑपरेशन चलाया गया है।
जम्मू कश्मीर में बढ़ते तनाव के बीच घाटी में आतंकवाद के खात्मे के लिए सेना ने कमर कसे हुए हैं। पिछले माह घाटी में 15 साल बाद सेना ने ‘कासो’ का फिर से इस्तेमाल शुरू किया था। कासो का मतलब ‘घेरा डालना और तलाशी अभियान’ चलाना है। हाल के दिनों में घाटी में बढ़े आतंकी हमलों और अलगाववादी कदमों के बाद सेना ने इसका इस्तेमाल फिर से शुरू किया है। शोपियां, त्राल समेत दक्षिण कश्मीर के कई इलाकों में सेना ने कासो के जरिए आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाया था। लेकिन सेना ने स्थानीय लोगों के सख्त विरोध और उन्हें होने वाली असुविधा के बाद कासो को बंद कर दिया था। 2001 के बाद सिर्फ विशेष खुफिया सूचना मिलने पर ही घेरा डालने और तलाशी अभियान चलाया जाता था। इस अभियान के दौरान स्थानीय जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। हालांकि, सुरक्षा प्रतिष्ठानों को लगता है कि ऐसे अभियानों के दौरान होने वाली दिक्ततों की वजह से सुरक्षा बल स्थानीय लोगों से अलग पड़ जाते हैं।
उमर फयाज की मौत के बाद फिर किया शुरू

ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

हाल ही में सेना के युवा अधिकारी लेफ्टिनेंट उमर फयाज की शोपियां में हत्या कर दिए जाने के बाद कासो को फिर से शुरू करने का फैसला किया गया था। पिछले कुछ महीनों में, आतंकवादियों ने कई इलाकों में बैंकों को भी लूटा, सुरक्षाबलों को मार डाला और उनके हथियार छीन लिए थे। पिछले माह कासो के जरिए शोपियां में सशस्त्र बलों ने 4000 सैनिकों के सहारे एक बड़ा अभियान चलाया था, जिससे रणनीति में बदलाव का संकेत मिला था। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने साफ ऐलान किया था, जब कश्मीर में हमारे सैनिकों पर पत्थर चल रहे हों और गोलियां चल रही हों तो हम उन्हें चुपचाप खड़े रहने को नहीं कह सकते।

ये भी पढ़ें - इस मंदिर में सोने से गर्भवती हो जाती है महिलाएं!