कतर से 4 अरब देशों ने तोड़े रिश्ते, भारत पर ऎसा रहेगा असर

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 05 जून 2017, 10:31 AM (IST)

रियाद। सऊदी अरब, बहरीन, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने कतर के साथ सभी तरह के कूटनीतिक रिश्ते खत्म करने का ऐलान कर दिया है। इन देशों ने कतर के साथ डिप्लोमैटिक रिश्तों के साथ जमीन, समुद्र और हवाई रिश्ते भी खत्म कर दिए हैं। इन देशों ने कतर पर आतंकी और चरमपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप लगाते हुए कतर के खिलाफ यह कदम उठाया है।
सऊदी अरब ने अपने फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि सऊदी को आतंकवाद और कट्टरपंथ से बचाने के लिए यह कदम उठाना जरूरी था। सऊदी ने कहा कि देश के साम्राज्य को बचाने ेक लिए यह कदम उठाया गया है। बाहरीन ने कतर के साथ रिश्ते तोडऩे के अपने फैसले की जानकारी सोमवार को दी। बहरीन ने कहा कि वह कतर की राजधानी दोहा से 48 घंटे के अंदर अपने राजनयिक मिशन को वापस बुला रहा है और इसी अवधि में कतर के सभी राजनयिकों को बहरीन छोड़ देना चाहिए। आतंकवाद को बढ़ावा देने के अलावा बाहरीन ने कतर पर अपने आंतरिक मामलों में दखलंदाजी करने का भी आरोप लगाया है। मालूम हो कि बाहरीन सऊदी अरब का करीबी सहयोगी है।
मिस्र ने भी कतर के साथ हवाई रिश्ते और सभी बंदरगाह बंद करने का ऐलान किया है। मिस्र ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर यह फैसला लेने का दावा किया।
इन चारों देशों ने कतर के साथ न केवल अपने कूटनीतिक और राजनयिक संबंध तोड़ लिए हैं, बल्कि हवाई व समुद्री संपर्क तोडऩे का भी ऐलान किया है। सऊदी अरब ने अपने फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि सऊदी को आतंकवाद और कट्टरपंथ से बचाने के लिए यह कदम उठाना जरूरी हो गया था। सऊदी की आधिकारिक न्यूज एजेंसी ने एक आधिकारिक सूत्र के हवाले से बताया कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर ऐसा कर रहा है। सऊदी ने सभी मित्र राष्ट्रों और कंपनियों से भी अपील की है कि वे भी कतर के साथ सभी तरह के संपर्क तोड़ दें।
यूएई ने भी कतर के साथ सभी तरह के संबंध तोडऩे की घोषणा की है। मिस्र ने जहां कतर पर आतंकवादी संगठनों को समर्थन देने का आरोप लगाया, वहीं यूएई का कहना है कि कतर पूरे पश्चिम एशिया क्षेत्र की सुरक्षा को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। बहरीन ने अपने यहां रह रहे कतर के नागरिकों को देश छोडक़र जाने के लिए 14 दिनों की मोहलत दी है, जबकि कतर के राजनयिकों को 48 घंटे के अंदर बहरीन छोडऩे को कहा गया है।
मुस्लिम ब्रदरहुड और आईएसआईएस को समर्थन का आरोप

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सऊदी प्रेस एजेंसी की खबर के मुताबिक, कतर लगातार नियमों का उल्लंघन कर रहा था। साथ ही, सऊदी में विरोधी ताकतों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा था, जिसके चलते यह एक्शन लिया गया। सऊदी अरब ने कतर पर मुस्लिम ब्रदरहुड और आतंकी संगठन आईएसआईएस को समर्थन देने का आरोप भी लगाया है। साथ ही यमन के खिलाफ सऊदी की लड़ाई को कतर मीडिया में नकारात्मक तरीके से पेश करने का भी आरोल लगाया। हाल ही में मिस्र ने मुस्लिम ब्रदरहुड के समर्थन के आरोप में कई न्यूज वेबसाइट्स पर बैन लगाया था।

भारत पर ऎसा रहेगा असर...

कतर में सबसे ज्यादा भारतीय प्रवासी रहते हैं। भारतीयों के लिए कतर के सफर में कोई खास असर नहीं पडेगा क्योंकि भारत से दोहा की फ्लाइट्स पर्सियन गल्फ रूट से होकर जाती हैं। साउदी और अन्य देशों द्वारा एयर स्पेस पर लगाए प्रतिबंध का पर्सियन गल्फ रूट पर कोई असर नहीं पडेगा।

कतर में रहने वाले भारतीयों को यूएई जाने के लिए मुश्किल का सामना करना पडेगा। यूएई में भी बडी संख्या में भारतीय रहते हैं। कतर में रहने वाले भारतीयों को कतर से पहले किसी अन्य देश जाना होगा, फिर वहां से यूएई की फ्लाइट पकडनी होगी। भारत और कतर के रक्षा और आर्थिक संबंध काफी मजबूत हैं। साल 2014-15 में भारत ने कतर में 1.05 बिलियन डॉलर का सामान एक्सपोर्ट किया था। कुल बाइलेटरल व्यापार 15.67 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था। मार्च 2014 में भारतीय कॉन्ट्रैक्टर लार्सन एंड टर्बो (एलएंडटी) को 2.1 बिलियन कतरी रियाल का प्रोजेक्ट दिया गया था। कतर रेलवे ने दोहा मेट्रो के लिए रेल लाइन के डिजाइन और निर्माण के लिए एलएंडटी को 740 मिलियन डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट दिया है।

भारत के साउदी अरब से भी घनिष्ठ संबंध हैं लेकिन हमें किसी एक का पक्ष लेने की जरूरत नहीं पडेगी क्योंकि रिश्ता खत्म करने का फैसला गल्फ देशों के आपसी संबंधों को देखते हुए लिया गया है। भारत के पेट्रोनेट एलएनजी ने कहा कि इसका कतर से होने वाली गैस आपूर्ति पर असर पडने की उम्मीद नहीं है। कतर में दुनिया का तीसरा सबसे बडा गैस रिजर्व है। भारत में कतर से समुद्र के रास्ते से गैस की आपूर्ति होती है। पेट्रोनेट एलएनजी भारत का सबसे बडा गैस आयातक है। यह कतर से सालाना 8.5 मिलियन टन एलएनजी का आयात करता है।

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