नई दिल्ली। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे पूर्व बीजेपी नेता
व पत्रकार अरूण शौरी ने एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर
जमकर हमला बोला। इस दौरान उन्होंने कई अहम मसलों पर बातचीत की।
द वायर को दिए इस इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि नरेंद्र मोदी दुनिया के
इकलौते ऎसे नेता हैं जो गाली-गलौच करने वाले टि्वटर हैंडल को फॉलो करते
हैं। इन्हीं हैंडल के जरिए आपको और आपके बेटे, जो दिमागी लकवे से पीडित
हैं, पर करन थापर को दिए इंटरव्यू के बाद हमला बोला गया।
इस पर उन्होंने
कहा कि उनको फॉलो करके मोदी संदेश देते हैं कि मैं उसे फॉलो कर रहा हूं।
अगर आप उसे फॉलो कर रहे हैं तो आप ही उसे बढ़ावा भी दे रहे हैं। उन्होंने
यह भी कहा,मैंने सुना है कि पीएम मोदी ने उनका स्वागत भी किया। पीएम के
आधिकारिक निवास पर भी आपको वही लोग मिलते हैं। वे पीएम मोदी के साथ फोटो भी
लगाते हैं। उनमें से एक शख्स को उन्होंने बीजेपी के आईटी सेल का हेड बना
दिया। अब यह सरकारी और पार्टी ऑपरेशन बन चुका है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान के अखबार राजस्थान पत्रिका को राज्य सरकार ने
सिर्फ इसलिए विज्ञापन देने से इनकार कर दिया, क्योंकि उन्होंने केंद्र
सरकार के बारे में कुछ गलत लिखा था।
शौरी से पूछा गया कि आशीष नंदी ने नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू के बाद लिखा
था, जिसमें उन्होंने कहा था, मुझे महसूस हो रहा है कि मेरी मुलाकात एक
किताबी फासीवादी शख्स से हुई है। आप भी मोदी को जानते हैं, उनके लिए प्रचार
भी किया है। क्या आप उनसे सहमत हैं। इस पर उन्होंने कहा कि जो भी नरेंद्र
मोदी के खिलाफ खडा होगा,उसपर प्रदीप शर्मा (आईएएस) और तीस्ता सीतलवाड की
तरह मुकदमों की झडी लग जाएगी।
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उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी बहुत जल्दी
तिलमिला जाते हैं। उदाहरण के तौर पर दिल्ली और बिहार चुनावों को ही देखिए।
यहां मोदी ने विकास-विकास का नारा छोडकर, लुभावने वादों का पुलिंदा बांध
दिया। यह दिखाता है कि एक चुनावी हार से वह कितना घबरा जाते हैं।
क्या आपको लगता है कि सत्ता में बने रहने के लिए आरएसएस ने मोदी और शाह
दोनों से समझौता किया है, इस पर शौरी ने कहा-नहीं, लेकिन आप ऎसा क्यों
सोचते हैं कि दोनों अलग हैं। मोदी-शाह हर दिन आरएसएस के मूल्यों को अपनों
की तरह बढावा देते हैं। इसी से जाहिर होता है कि वह सत्ता में है। आप देखिए
कि बडे संस्थानों में किन लोगों की नियुक्तियां की गई हैं। इंडियन काउंसिल
फॉर हिस्टॉरिकल रिसर्च का ही उदाहरण ले लीजिए।
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