शहरी जनकल्याण शिविरों पर हाईकोर्ट की रोक, सीएस समेत कई अाला अफसर तलब

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 22 मई 2017, 8:10 PM (IST)

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्य पीठ ने मुख्यमंत्री शहरी जनकल्याण शिविरों पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव, नगरीय एवं आवासन सचिव समेत जयपुर, जोधपुर, अजमेर विकास प्राधिकरण के आयुक्तों, उदयपुर, कोटा, बीकानेर नगर निगमों के आयुक्तों को 29 मई को तलब किया है।

न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश अरूण भंसाली की खंडपीठ ने सोमवार को यह आदेश जारी किए। आदेश में बताया गया है कि कोर्ट ने गुलाब कोठारी की एक याचिका पर 12 जनवरी 17 को आदेश दिया था कि जयपुर, जोधपुर व अन्य शहरों के मास्टर प्लान में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाए। साथ ही ईकोलाॅजिकल क्षेत्र में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाए। अदालत ने चार महीने में मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव नगरीय, प्रमुख शासन सचिव स्वायत्त शासन विभाग से इसकी पालना रिपोर्ट पेश करने को कहा था।
इसके बाद भी संबंधित विभाग के अधिकारियों ने आज तक किसी तरह की पालना रिपोर्ट पेश नहीं किया। इस बीच कोर्ट में न्याय मित्र पूनमचंद भंडारी ने अदालत के सामने आवेदन पेश किया कि राज्य सरकार ने पूर्व में दिए गए आदेश की पालना में कोई रिपोर्ट पेश नहीं की बल्कि कुछ अधिसूचनाएं जारी कर मास्टर प्लान का उल्लंघन कर अवैध निर्माण व अतिक्रमण को नियमित करने का फैसला किया है।

खंडपीठ ने इस पर नाराजगी जताई और कहा कि हाईकोर्ट के 12 जनवरी के आदेश की पालना करने में स्थानीय नगर निकायों ने केजुएल अप्रोच रखी। अदालत ने आदेश दिए कि इस मामले में जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से 5 मई और 8 फरवरी को जारी परिपत्र, और नगरीय विकास विभाग की ओर से 28 अप्रैल को जारी परिपत्रोें की क्रियान्वति पर रोक लगा दी है। इन परिपत्रों के जरिए ही शहरी जनकल्याण शिविरों को लगाने के आदेश जारी किए गए हैं। साथ ही 29 मई तक संबंधित विभागों के प्रमुख अधिकारियों को पालना रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

आदेश का यह असर होगा

इस आदेश का यह असर होगा कि आगामी तारीख तक राज्य में मुख्यमंत्री जनकल्याण शिविर नहीं लग पाएंगे। सरकार की लापरवाही की वजह से इन शिविरों में मिलने वाले पट्टों का लाभ आम जनता को नहीं मिल पाएगा।

ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे