समय के अनुरुप चलना ही जीवन विकास की कला - राज्यपाल, गोवा

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 22 मई 2017, 8:07 PM (IST)

राजसमंद/जयपुर। घर परिवार की शिक्षा दीक्षा, हुनर और संस्कार ही व्यक्तित्व विकास का मूल आधार है और समय के अनुरुप बदलाव और परिस्थितियों में सामन्जस्य बिठाकर चलना ही जीवन जीने के विकास की कला है। ये कहना है गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा का। वे सोमवार को राजसमन्द के भिक्षु निलयम में आयोजित पण्डित दीनदयाल उपाध्याय बालिका उत्थान शिविर के समापन समारोह में संबोधित कर रही थी। उन्होंने बालिकाओं और महिलाओं से कहा कि वे अपने बहुआयामी उत्थान और सामाजिक विकास के लिए सभी उपयोगी हुनरों में दक्षता प्राप्त करें और अपनी खास पहचान बनाते हुए समाज की सेवा में आगे आएं। राज्यपाल ने भारत माता, पं. दीनदयाल उपाध्याय और श्यामप्रसाद मुखर्जी की तस्वीर के सम्मुख दीप प्रज्वलन कर समारोह की शुरुआत की।

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राज्यपाल सिन्हा ने शिविर आयोजन और इसमें समर्पित भागीदारी के लिए नगर परिषद सभापति सुरेश पालीवाल और आयुक्त बृजेश राय, महिला संरक्षण समिति की अध्यक्ष और शिविर संयोजिका संगीता माहेश्वरी और श्वेता शर्मा, भारत विकास परिषद के जयप्रकाश मंत्री और ओमप्रकाश मंत्री सहित उल्लेखनीय सहयोगकर्ताओं को प्रभु श्री द्वारिकाधीश की छवि, श्रीफल, शॉल, उपरणा और प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। राज्यपाल ने स्वच्छता बेग और बालिकाओं को दिए जाने वाले बैक्स प्रदान किए। राज्यपाल ने मंच संचालक दिनेश श्रीमाली को उपरणा पहनाकर अभिनंदन किया।

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राज्यपाल ने बालिकाओं को पोतियां कहकर संबोधित किया और सीधे संवाद कायम करते हुए उनके घर-परिवार और संस्कारों के बारे में बातचीत की। इससे बालिकाएं गदगद हो उठी। सिन्हा के उद्बोधन के दौरान कई बार करतल ध्वनि भी होती रही। राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कहा कि जो बच्चे दादा दादी के साथ रहते हैं, उनमें तीन पीढ़ियों का सामन्जस्य और सहज स्वाभाविक जीवन व्यवहार की दीक्षा मिलती है। इससे बच्चों का विकास अधिक होता है। उन्होंने दादा-दादी, नाना-नानी और बुजुर्गों की कथा परंपरा को भी नई पीढ़ी के लिए ज्ञानवर्द्धक और व्यवहारिक जीवनोपयोगी बताया और कहा कि इस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। मनीषी चिन्तक और सुप्रसिद्ध कथाकार के साथ राज्यपाल सिन्हा ने बच्चों को पुरातन आख्यानों और कथा-कहानी व कविता के माध्यम से समझाईश की और बालिकाओं का दिल जीत लिया।

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बालिका उत्थान शिविर की उपलब्धियों पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि हाथ में जब हुनर आता है, तब इसका उल्लास प्रकट होता है और आमदनी बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि बेटियों को विशेष सुरक्षा, शिक्षा और विकास के अवसर मुहैया कराए जाने चाहिएं, क्योंकि बेटियां विशेष काम करती है। आज बेटियां जल, थल और नभ से लेकर सभी दिशाओं में अपनी धाक जमा रही हैं। बेटियों से उन्होंने पढ़-लिख और हुनर सीख कर समाज में पहचान बनाने का आह्वान किया और कहा कि अपने भीतर गौरव का भाव लाकर खुद को गौरवान्वित महसूस करने लायक काम करने में जुटे रहना चाहिए।

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उन्होंने कहा कि समाज में बेटियों को सदियों से सम्मान देने की परंपरा रही है। समाज और सरकार की ओर से बेटियों के उत्थान के लिए खूब प्रयास हो रहे हैं। बालिका उत्थान शिविर की तारीफ करने हुए उन्होंने कहा कि आठ दिन तक 1200 बेटियों का साथ-साथ रहना और परस्पर सीखना कोई कम बात नहीं है। बेटियों के उत्थान की लौ हमेशा सब जगह जलती रहनी चाहिए, अंधियारा छंटेगा, तभी उजाला आएगा। इस दिशा में जो प्रयास हो रहे हैं, वे सराहनीय हैं। बेटियां कई पीढ़ियों का निर्माण करती हैं और संस्कारित बेटी पीढ़ियों को संभाल लेती है। 

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इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल, जिला प्रमुख प्रवेश कुमार सालवी, नगर परिषद के सभापति सुरेश पालीवाल, शिविर संयोजिका संगीता माहेश्वरी सहित कई जन प्रतिनिधि, अधिकारी, शिविरार्थी बालिकाएं और महिलाओं के साथ उनके परिजन, विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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समारोह को संबोधित करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने राज्यपाल मृदुला सिन्हा के व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व का परिचय देते हुए कहा कि ज्ञान, साहित्य और अनुभवों से भरा उनका समग्र जीवन प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने बताया कि शिविर के माध्यम से विभिन्न विधाओं में रुचि रखने वाली हुनरमन्द बालिकाओं और महिलाओं को आय अर्जन गतिविधियों और योजनाओं से जोड़कर पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।  समारोह में बालिकाओं को संबोधित करते हुए महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री अनिता भदेल ने राजसमन्द में बालिका उत्थान शिविर की सराहना की और कहा कि छात्राएं इन अवसरों का पूरा-पूरा लाभ लेकर अपने व्यक्तित्व को निखारें और जीवन में आगे बढ़ें। उन्होंने हुनरमंद बालिकाओं की ओर से सृजित उत्पादों को बाजार दिलाने के उद्देश्य से राजसमन्द में अमृता हाट मेले का आयोजन का आश्वासन दिया और कहा कि इसका लाभ पाएं। उन्होंने राज्य सरकार की ओर से बालिकाओं और महिलाओं के विकास और आत्मनिर्भरता प्रदान करने वाली योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी दी और बालिकाओं से कहा कि वे निःशुल्क हुनर विकास कोर्सेज के लिए ऑनलाईन आवेदन कर इनका फायदा उठाएं। 

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समारोह में जादूगर आरके सोनी (जयपुर) की ओर से जादूई करतब भी दिखाई गए। वहीं शिविर गतिविधियों पर केन्द्रित लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। समारोह का संचालन शिक्षाविद व साहित्यकार दिनेश श्रीमाली और आभार प्रदर्शन भारत विकास परिषद के सचिव ओमप्रकाश मंत्री ने किया। 

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सिन्हा ने राजसमन्द के भिक्षु निलयम में पण्डित दीनदयाल उपाध्याय बालिका उत्थान शिविर की संभागी बालिकाओं और महिलाओं की ओर से बनाई गई हस्तशिल्प सामग्री का अवलोकन किया और खूब सराहना की। राज्यपाल ने फीता खोल कर हस्तकला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल, जिला प्रमुख प्रवेश कुमार सालवी, नगर परिषद सभापति सुरेश पालीवाल सहित कई जन प्रतिनिधि गण, अधिकारीगण और गणमान्य नागरिकों के साथ आयोजक संस्थाओं के प्रतिनिधि व पदाधिकारीगण मौजूद थे। बालिकाओं के आग्रह पर राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने मॉडल्स के साथ फोटो भी खिंचवाए और आशीर्वाद दिया। आठ दिवसीय ये शिविर राजसमन्द नगर परिषद, भारत विकास परिषद और महिला संरक्षण समिति, कोटा की ओर से आयोजित किया गया। इसमें राजसमन्द और आसपास के क्षेत्रों की 1200 से अधिक बालिकाओं व महिलाओं ने हस्तकलाओं और आधुनिक विधाओं का व्यवहारिक प्रशिक्षण पाकर दक्षता हासिल की। राज्यपाल सिन्हा सहित तमाम अतिथियों का प्रभु श्री द्वारिकाधीश की छवि, उपरणा, पुष्पगुच्छ एवं श्रीफल से स्वागत किया गया। 

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