शिविर में सुलझा 7 वर्ष पुराना विवाद, 73 वर्षीय बुजुर्ग को मिली उसकी जमीन

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 21 मई 2017, 5:40 PM (IST)

जयपुर। जिले में राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी फ्लैगशिप कार्यक्रम राजस्व लोक अदालत अभियान : न्याय आपके द्वार के शिविरों में आपसी मतभेद के कारण राजस्व न्यायालयों में एक-दूसरे के खिलाफ खड़े लोग अपने रिश्तों को फिर से मधुर बना रहे हैं। यह सब जिले की जमवारामगढ़ तहसील की मानोता ग्राम पंचायत में आयोजित शिविर में देखने को मिला। वहां ग्रामीणों में समझाइश के माध्यम से सुलह की राह प्रशस्त की गई। शिविर में सात साल पुराने मामले का निबटारा किया गया, साथ ही 73 वर्षीय बुजुर्ग को उसकी भूमि का नामांतरण दर्ज कर जमाबंदी सौंप दी गई।

समझाइश से हुआ खाता विभाजन
मानोता पंचायत के गांव ड्योढ़ा डूंगर में एक बीघा 13 बिस्वा कृषि भूमि पर दो पक्षों में 7 वर्षों से अधिक समय से चल रहे विवाद का निबटारा किया गया। गांव की कौशल्या देवी बनाम रामादेवी, गम्मूड़ी देवी और मुन्ना देवी के इस प्रकरण में उपखंड न्यायालय जमवारामगढ़ में वाद चल रहा था। कौशल्या देवी ने वर्ष 2010 में ड्योढ़ा डूंगर में कृषि भूमि खरीदी थी। इसी खसरे पर रामादेवी, गम्मूड़ी देवी और मुन्ना देवी ने भी कृषि भूमि क्रय की, लेकिन खसरे के कौनसे हिस्से पर कौन सा पक्ष काबिज हो इसे लेकर विवाद के कारण कोई भी पक्ष इस जमीन पर बुआई-जुताई (काबिज काश्त) नहीं कर पा रहा था।

मानोता में शनिवार को राजस्व लोक अदालत शिविर में उपखंड अधिकारी नरेन्द्र मीना, ग्राम पंचायत सरपंच सुमन मीना सहित गांव के लोगों ने दोनों पक्षों से समझाइश की। इस पर दोनों पक्षों ने खुशी-खुशी खसरे पर अपनी भूमि को ‘मार्क’ करते हुए खाता विभाजन की सहमति दे दी। इसके बाद उपखंड न्यायालय ने उस खसरे पर दोनों पक्षों की जमीन के हिस्से को चिह्वित कर खाता विभाजन एवं स्टे खारिज कर वाद का निबटारा कर दिया गया। शिविर में ग्रामीणों की मौजूदगी में पारित निर्णय की प्रति जब कौशल्या देवी तथा रामादेवी, गम्मूड़ी देवी व मुन्ना देवी को सौंपी गई तो उनके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव न्याय आपके द्वार की सफलता की गवाही दे रहे थे।

रामस्वरूप को मिला हक


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ड्योढ़ा डूंगर के 73 वर्षीय बुजुर्ग रामस्वरूप को मानोता के शिविर में जब उसकी भूमि का नामांतरण दर्ज कर जमाबंदी सौंपी गई तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। गांवों में राजस्व लोक अदालतें आयोजित कर ग्रामीणों को लाभान्वित करने के मिशन की रामस्वरूप ने सराहना करते हुए राज्य सरकार का आभार जताया। रामस्वरूप ने वर्ष 2005 में 19 बिस्वा कृषि भूमि रजिस्टर्ड विक्रय पत्र के जरिये प्राप्त की और ग्राम पंचायत में नामांतरण दर्ज करने के लिए आवेदन किया।

बकौल रामस्वरूप रिश्तेदारों से किसी मसले पर मनमुटाव के कारण ग्राम पंचायत ने उस भूमि पर अन्य व्यक्तियों का कब्जा दिखाकर उसका नामांतरण खारिज कर दिया। रामस्वरूप ने ग्राम पंचायत के इस निर्णय के विरुद्ध जमवारामगढ़ के एसडीएम कोर्ट में अपील की, जिसकी सुनवाई करते हुए उपखंड मजिस्ट्रेट ने खुले न्यायालय में निर्णय सुनाते हुए उसके नामांतरण को सही मानते हुए तहसीलदार को पालना के लिए सुपुर्द किया। शनिवार को मानोता में हुए शिविर में तहसीलदार ज्ञानचंद जैमन ने उपखंड न्यायालय के आदेश की पालना करते हुए रामस्वरूप के नामांतरण को स्वीकार कर उसको आदेश की प्रति सौंप दी।


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