जाधव मामले में पाक बोला-ICJ ने काउंसलर एक्सेस पर नहीं दिया आदेश

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 20 मई 2017, 7:43 PM (IST)

इस्लामाबाद। भारतीय नागरिक और पूर्व नौसेना अफसर की फांसी की सजा पर रोक के अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) के अंतरिम आदेश के बाद भी पाकिस्तान जाधव को राजनयिक मदद (काउंसलर एक्सेस) देने से इनकार कर दिया है।

इस्लामाबाद में पत्रकारों से बातचीत में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के सलाहार सरताज अजीज ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने जाधव को राजनयिक मदद देने के मामले में कोई आदेश नहीं दिया है। अजीज का दावा है कि आईसीजे में पाकिस्तान को भारत का जवाब देने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाया। कथित तौर पर जासूसी के मामले में फांसी की सजा पाने वाले कुलभूषण जाधव के मामले को देखने के लिए पाकिस्तान नई लीगल टीम की नियुक्ति करेगा।

टीवी रिपोर्ट्स के मुताबिक अजीज ने दावा किया कि आईसीजे ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को राजनयिक मदद प्रदान किए जाने को लेकर कोई आदेश नहीं दिया है। यह कहना गलत है कि पाकिस्तान आईसीजे में हार गया। कोर्ट ने फांसी पर रोक लगाई है। जाधव को राजनयिक मदद का आदेश नहीं दिया है। अजीज ने दावा किया कि पाकिस्तान के पास जाधव के खिलाफ पर्याप्त सबूत है।

वहीं, पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री चौधरी निसार अली खान ने शनिवार को कहा कि पाकिस्तान कथित भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव के मामले में देश के कानून के अनुसार बर्ताव करेगा, जिसे सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई है। ç जयो टीवी के अनुसार, मंत्री ने कहा कि उनका देश जाधव मुद्दे को जासूसी मामले के रूप में देखेगा और इसमें पाकिस्तान के कानून के अनुसार ही बर्ताव किया जाएगा। मंत्री ने यह भी कहा कि जाधव की गिरफ्तारी से पाकिस्तान में कई आतंकी घटनाओं को रोकने में मदद मिली।

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भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकार कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा सुनायी गयी फांसी की सजा पर 18 मई को अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) ने अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा कि पाकिस्तान जाधव पर कोई कार्रवाई न करे। कोर्ट ने यह भी कहा कि जाधव पर पाकिस्तान का दावा मायने नहीं रखता। भारत और पाकिस्तान वियना संधि के तहत प्रतिबद्ध हैं और उसे इस मामले में फैसला सुनाने का हक है। कोर्ट ने कहा कि भारत ने वियना संधि के तहत अपील की है और संधि के तहत राजनयिक मदद दी जानी चाहिए थी। इस फैसले को भारत की जीत के तौर पर देखा जा रहा है।

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