‘वास्तव’ ने बदली मां की भूमिका, सिर्फ एक साल बडी थी संजय से

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 18 मई 2017, 4:22 PM (IST)

निर्देशक महेश मांजरेकर की फिल्म ‘वास्तव’ को दर्शकों ने बेहद पसन्द किया था। इस फिल्म की सफलता चौंकाने वाली थी। फिल्म सफल होगी लेकिन इतनी बडी सफल होगी यह किसी ने नहीं सोचा था। मराठी फिल्मों के सुप्रसिद्ध अभिनेता और निर्देशक महेश मांजरेकर की यह पहली हिन्दी फिल्म थी। इस फिल्म की सबसे बडी खासियत मजबूत पटकथा, निर्देशन और अभिनय था। फिल्म में होने को कई किरदार थे लेकिन दो ऐसे किरदार थे जिन के इर्द गिर्द इस फिल्म के कथानक को बुना गया था। यह किरदार थे रघु (संजय दत्त) और उसकी मां (रीमा लागू)। इस फिल्म से पहले मां द्वारा परदे पर भावनाओं से ओतप्रोत संवाद ही बोले जाते थे लेकिन महेश मांजरेकर की फिल्म में एक ऐसी मां आई जिसने अपने बेटे को ही गोली मार दी। ‘वास्तव’ में मां के किरदार को रीमा लागू ने ऐसे निभाया कि लोगों की तारीफों से लेकर पुरस्कारों तक वह हर चीज की हकदार बन गई थी।


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वास्तव का क्लाइमैक्स सशक्त था। दृश्य में सिर्फ मां और बेटे का वार्तालाप था, जहां बेटा अपनी मां से कहता है कि ‘मां मुझे इस ‘डर’ से मुक्त कर दे। मुझे मुक्त कर दे मां। मैं मर जाऊंगा।’ महेश मांजरेकर ने जिस अंदाज में इस दृश्य को फिल्माया ऐसा बिरला ही कोई निर्देशक फिल्माता है। पुत्र मोह में फंसी मां अपने बेटे के दर्द को समझते हुए उसे दुलारती है, गले लगाती है और अन्त में अपने पुत्र की पिस्तौल से ही उसे गोली मार देती है। गोली मारते ही परदा काला नजर आता है और थोडे अंतराल के बाद झूले के चलने की आवाज आती है। कैमरा रीमा लागू, मोहनीश बहल और शिवाजी साटम पर ठहर जाता है। महेश मांजरेकर ने ‘वास्तव’ के इस दृश्य को मेहबूब खान की कालजयी फिल्म ‘मदर इंडिया’ की तर्ज पर फिल्माया था, जहां नरगिस अपने बेटे सुनील दत्त को गोली मार देती है। महेश ने वक्त के अनुसार माहौल बदला था। नायक के मौत का अंदाज बदला था, नहीं बदली तो सिर्फ मां की मजबूरी जो अपने पुत्र को गोली मारती है। जिस वक्त रीमा लागू ने संजय दत्त की मां का यह किरदार निभाया था तब वे संजय दत्त ने मात्र एक साल बडी थी।

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रीमा लागू ने जिन अभिनेताओं की मां की भूमिका अभिनीत की वे कमोबेश उन्हीं की उम्र के थे। मैंने प्यार किया से लेकर हम साथ-साथ है तक सलमान खान की मां के रूप में नजर आने वाली रीमा लागू उनसे मात्र 7 साल बडी थी। निखिल अडवाणी निर्देशित कल हो न हो में शाहरुख खान की मां की भूमिका करने वाली रीमा लागू उनसे मात्र 8 साल बडी थी। वहीं गोविन्दा उनसे उम्र में सिर्फ 6 साल छोटे हैं।

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