जयपुर। दक्षिणी राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के जाने-माने थेवा कलाकार और पदम् श्री अलंकरण से सम्मानित महेश राजसोनी ने केन्द्रीय वस्त्र मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी से भेंट कर आग्रह किया है कि भौगोलिक संकेतक पहचान (जी.आई.टैग) प्राप्त उत्पादों के समक्ष मौजूद नकली उत्पादों के बाजार में प्रचलन की समस्या का समाधान करने के साथ ही ऎसे नकली उत्पादों की बिक्री रोकने के लिए ठोस उपाय किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही का प्रावधान किया जाए।
राजसोनी ने नई दिल्ली में जी.आई.टैग से जुड़े हस्तशिल्पियों और बुनकरों की दो दिवसीय कार्यशाला में भाग लेते हुए केन्द्रीय मंत्री के समक्ष सभी हथकरघा कारीगरों की ओर से बाजार में नकली माल से उत्पन्न समस्याओं से अवगत करवाया। उन्होंने बताया कि नकली उत्पादों की बिक्री और मनमाने पैसे वसूल कर खरीदारों को ठगा जा रहा है।
उन्होंने बताया कि जी.आई.टैग प्रमाण पत्र प्राप्त उत्पादों का अपनी बेजोड़ पहचान है और स्थान विशेष पर ही अपनी मौलिकता के साथ बनाए जाते है। देश में करीब 270 ऎसे उत्पाद है जिनमें से 149 भारतीय हस्तशिल्प एवं हथकरघों की सूची एवं विवरण का संग्रह हाल ही जारी किया गया है।
थेवा कला का जी.आई.टैग-244 जारी
दक्षिणी राजस्थान की जग प्रसिद्ध थेवा कला जो कि शीशे पर सोने की बारीकी के कारण मशहूर है, को भी जी.आई.टैग-244 जारी किया गया है। लेकिन कतिपय बिक्रीकर्ता नई डिजाइनों के नाम से थेवा के नकली उत्पादों को भारी दामों पर बाजार में बेच कर थेवा कला के मौलिक स्वरूप को बिगाड़ रहे हैं। जबकि भारत सरकार द्वारा ऎसी बेजोड़ कला के नमूनों को विशिष्ट पहचान पत्र देकर चिंहित किया जा रहा है। उन्होंने नई दिल्ली के दिल्ली हाट में विशेष हस्तशिल्प व हथकरघा विपणन बाजार लगाने के प्रयासों को सराहा।राष्ट्रीय कार्यशाला में केन्द्रीय कपड़ा राज्यमंत्री अजय टमटा और वस्त्र मंत्रालय के विकास आयुक्त हस्तशिल्प तथा हथकरघा भी मौजूद थे।
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