अमृतसर।
लॉरेंस रोड स्थित नैयर अस्पताल में ब्लड एसोसिएशन अमृतसर से संबंधित
युवाओं ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। युवाओं का आरोप था
कि नैयर अस्पताल में ब्लड बैंक नहीं है, फिर भी यहां ब्लड निकाला जाता है।
अध्यक्ष
सुखविंदर सिंह मठारू ने बताया कि उनकी एसोसिएशन द्वारा जरूरतमंद लोगों को
निशुल्क रक्त् उपलब्ध करवाता जाता है। इसके लिए एसोसिएशन के पदाधिकारियों
ने फेसबुक व वॉट्स ऐप पर ग्रुप बनाए हैं। वीरवार की शाम सोशल मीडिया के
माध्यम से एक परिवार ने रक्त की मांग की। परिवार का कहना था कि उनका बेटा
सुरिंदर सिंह हार्ट पेशेंट है। नैयर अस्पताल में उसकी हार्ट सर्जरी हुई है।
शरीर में खून की मात्रा कम रह गई है, इसलिए डॉक्टरों ने ए—नैगेटिव ग्रुप
खून का बंदोबस्त करने को कहा है।
मठारू के अनुसार यह मामला नैयर
अस्पताल से संबंधित था। इस अस्पताल में ब्लड बैंक नहीं है और न ही लाइसेंस,
इसकी उन्हें पूर्व में ही जानकारी थी। सच्चाई का पता लगाने और मरीज की जान
बचाने के लिए एसोसिएशन का वालंटियर 22 वर्षीय दर्शन सिंह दलेर रक्तदान
करने पहुंचा। उनके साथ ही एसोसिएशन के पदाधिकारी भी गुपचुप ढंग से अस्पताल
में पहुंच गए। दर्शन सिंह को रक्तदान करने के लिए ऊपरी मंजिल पर स्थित एक
कमरे में ले जाया गया। यहां स्टाफ ने उसकी बाजू पर ड्रिप लगाई और निकालने
लगे। दर्शन सिंह ने उनसे कहा कि वह एचआईवी और हैपेटाइटिस का टेस्ट नहीं
करेंगे? इस पर स्टाफ ने कोई जवाब नहीं दिया।
इसके बाद एसोसिएशन के सभी
सदस्य कमरे में दाखिल हो गए और स्टाफ से पूछताछ की। स्टाफ ने संतोषजनक
उत्तर नहीं दिया। सुखविंदर सिंह मठारू ने बताया कि अस्पताल में ब्लड बैंक
नहीं है। नेशनल एड्स कंट्रोल सोसाइटी की गाइडलाइन के अनुसार वही अस्पताल
रक्तदान करवा सकता है जिसके पास लाइसेंस और ब्लड बैंक हो। नैयर अस्पताल इस
नियम का पालन नहीं करता। यदि डोनर को एचआईवी व हैपेटाइटिस जैसा घातक रोग हो
तो निश्चित ही जिस शख्स को उसका खून चढ़ाया जाएगा, वह भी संक्रमित हो
जाएगा। खास बात यह है कि किसी भी मरीज को फ्रेश ब्लड नहीं चढ़ाया जा सकता।
ब्लड चढ़ाने से पूर्व उसे स्टोरेज में रखा जाता है। मेडिकली प्रक्रिया पूरी
होने के बाद ही रक्त दिया जाता है।
सुखविंदर सिंह के मुताबिक इस
मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। बिना ब्लड बैंक के ब्लड निकालना इस
ओर भी इंगित करता है कि अस्पताल में ब्लड बेचा भी जाता होगा।
हॉस्पिटल
के डॉक्टर अशोक नय्यर का कहना है की उन्होंने कोई गलत नहीं किया अगर
उन्हें एमरजेंसी में खून की जरूरत पड़े तो हमें डोनर से ही लेना पड़ता है
उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया।
ड्रग इंस्पेक्टर बबलीन कौर का कहना है
कि मामले की नजाकत को देखते हुए सिवल सर्जन की टीम मोके पर पहुंची और खून
को कब्जे में लेकर जाँच सुरु कर दी है ड्रग इंस्पेक्टर का कहना है की यहाँ
से उन्हें खून के सैंपल मिले है और डोनर से उन्होंने स्टेटमेंट ली जा रही
है बिना लाइसेंस के खून लेना या देना गैरकानूनी है इस मामले में हॉस्पिटल
प्रशासन के खिलाफ करवाई की जाएगी।
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