कुंडली को जन्म-कुंडली, जन्म पत्रिका, जन्म-पत्री, वैदिक कुंडली आदि
नामों से भी जाना जाता है। एक कुंडली नक्षत्रों और ग्रहों की उन सटीक
स्थितियों को दर्शाती है जो जातक के जन्म के समय आकाश में थीं। इन खगोलीय
स्थितियों को सरल रूप में कुंडली की सूरत में चिन्हित किया जाता है जिससे
उसका विश्लेषण किया जा सके।
कुंडली में बारह भाव होते हैं। इन भावों में
स्थित नौ ग्रह विभिन्न योग बनाते हैं। ग्रहों की स्थिति और अन्य ग्रहों के
साथ युति के आधार पर ही व्यक्ति के सुख-दुख और धन संबंधी मामलों का अनुमान
लगाया जाता है। कुंडली के कुछ योग धन संबंधी बातों से जुडे हैं।
पढिये धन से जुडी इन विशेष योगों के बारे में-
धन नष्ट हो जाने के संकेत---
-दूसरे
भाव में बुध के और उस पर चंद्रमा की दृष्टि होने पर व्यक्ति के हमेशा गरीब
रहने की सम्भावना बनी रहती है। कुंडली में इन ग्रहों के अवस्थित होने पर
कठिन प्रयासों के बावजूद व्यक्ति धन संग्रह नहीं कर पाता।
-जन्म कुंडली में सूर्य और बुध के दूसरे भाव में अवस्थिति की स्थिति में व्यक्ति के पास पैसा नहीं टिकता।
-कुंडली
में चंद्रमा के अकेले होने और उसके द्वादश में किसी भी ग्रह के न होने की
स्थिति उस व्यक्ति के आजीवन धनहीन होने का द्योतक है।
-जन्म कुंडली के द्वितीय भाव में चंद्रमा के स्थित होने और उस पर बुध की दृष्टि पडऩे पर उस व्यक्ति के परिवार का धन नष्ट हो जाता है।
धनवान होने के संकेत---
-जन्म
कुंडली का दूसरा घर या भाव धन का होता है। इस भाव के कारण ही व्यक्ति की
स्थायी संपत्ति का अनुमान लगाया जाता है। इस भाव के तहत ही धन, आभूषण आदि
का अनुमान लगाया जाता है।
-व्यक्ति की कुंडली के दूसरे भाव मे शुभ माने जाने वाले ग्रहों के अवस्थित होने पर अत्यधिक धन-सम्पदा की प्राप्ति हो सकती है।
-दूसरे
भाव में चंद्रमा के स्थित होने पर धनवान होने की प्रबल सम्भावना होती है।
प्रचुर धन होने के कारण ऐसे व्यक्तियों को किसी भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति
के लिये अधिक परिश्रम नहीं करना पड़ता है।