जयपुर। राजस्थान में जालोर जिले के भांडवपुर में जैन मुनि जयंतसेन सुरीशवरजी महाराजसाहेब का सोमवार को निधन हो गया। उनके निधन के अगले दिन करीब 50 हजार से ज्यादा जैन-मुनियों की भीड़ इकट्ठी हुई, क्यों कि मुनि जयंतसेन लाखों जैनियों के धर्मगुरु थे। अंत्येष्टि कार्यक्रम में भी हजारों की तादात में लोगों का जमावड़ा रहा। इस दौरान अत्येष्टि के लिए बोली लगाई गई। 81 वर्षीय जैन मुनि को मुखाग्नि देने के लिए एक बड़े कारोबारी घराने ने 33.5 करोड़ रुपयों की बोली लगाई।
अंत्येष्टि कार्यक्रम के दौरान कई अन्य कामों के लिए भी करोड़ों की बोलियां लगाई गई। उन्हें अंतिम बार नहलाने, चंदन लगाने, उनके शरीर को गर्म शॉल से ढकने जैसे आदि कामों के लिए करोड़ों रुपयों की बोलियां लगाई गईं। आपको बता दें कि अंत्येष्टि कार्यक्रम के लिए बोली लगाए जाने की प्रथा करीब 450 साल पहले से चली आ रही है। इस प्रथा को घी बोलो नाम से जाना जाता है।
जैन मुनि विमल सागर महाराजसाहेब ने घी बोलो प्रथा की जानकारी देते हुए कहा कि वर्षों पहले श्रद्धालु मंदिरों में रखे दानपात्रों में दान नहीं करते थे और ना ही दान पात्र होते थे। ऐसे में फंड जुटाने के लिए जैनियों ने यह तरीका अपनाया था, ताकि जैन धर्म का प्रचार हो सके तथा और मंदिरों का निर्माण हो सके। फंड जुटाए के लिए शुरू की गई घी बोलो प्रथा धीरे-धीरे यह रिवाज में बदल गई, जो आज के दौर में भी जारी है।