कैबिनेट ने खालसा विश्वविद्यालय अधिनियम को रद्द किया

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 19 अप्रैल 2017, 8:43 PM (IST)

चंडीगढ़ | पंजाब मंत्रिमंडल ने बुधवार को अमृतसर के खालसा कॉलेज परिसर में एक नया विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए पारित किए गए एक विवादास्पद कानून को खत्म करने का फैसला किया। इस कानून को पूर्व शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी सरकार ने पारित किया था। मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने की। इस बैठक में 125 साल पुराने ऐतिहासिक खालसा कॉलेज की विरासत को निजीकरण से बचाने के क्रम में खालसा विश्वविद्यालय अधिनियम 2016 को खत्म करने का फैसला किया गया।

अमरिंदर सिंह ने पहले ही अमृतसर के खालसा कॉलेज को विरासत के तौर पर बचाने का वादा किया था। यह देश के सबसे पुराने शिक्षण संस्थानों में से एक है।

मंत्रिमंडल ने कहा कि शहर के निवासियों सहित कॉलेज के पूर्व छात्र और बुद्धिजीवियों की भारी आलोचना के बावजूद अमृतसर में खालसा विश्वविद्यालय अधिनियम 2016 के तहत खालसा विश्वविद्यालय स्थापित किया गया था।

सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि मंत्रिमंडल ने खालसा कॉलेज सोसाइटी द्वारा इस प्रतिष्ठित संस्थान को एक विश्वविद्यालय में परिवर्तित करके इसकी समृद्ध विरासत को नष्ट करने के कदम को भयावह बताया।

मंत्रिमंडल ने फैसला किया कि अमृतसर में एक अतिरिक्त विश्वविद्यालय स्थापित करने का कोई मतलब नहीं था, जहां पहले से ही कई प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थान मौजूद हैं।

इसमें गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, श्री गुरु रामदास स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय और भारतीय प्रबंधन संस्थान शामिल हैं।

पिछली शिरोमणि अकाली दल- भाजपा सरकार ने नए निजी विश्वविद्यालयों के लिए रास्ता बनाने के लिए इस अधिनियम को मंजूरी दी थी।

खालसा कॉलेज प्रबंधन में मजीठा परिवार का प्रभुत्व है। इसमें पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया व उनकी बड़ी बहन और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत बादल शामिल है। हरसिमरत पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हैं।

मंत्रिमंडल ने खालसा कॉलेज से जमीन लेकर विश्वविद्यालय स्थापित करने से कॉलेज के अस्तित्व पर प्रतिकूल असर पड़ने पर चिंता जाहिर की।

आईएएनएस

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