करनाल।
परिवार समाज की प्रथम ईकाई है। परिवार में मिले संस्कार और आदर्श पूरी
उम्र मनुष्य का मार्गदर्शन करते है। गर्भावस्था और जन्म के बाद 5-6 वर्ष तक
बच्चों को जो संस्कार मिलते है वही समाज और राष्ट्र सेवा की बुनियाद को
मजबूत करते है।
यह अभिव्यक्ति आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार
जी ने स्थानीय सेक्टर-12 स्थित गोल्डन मोमेंट में राष्ट्र सेविका समित
हरियाणा धार्मिक विभाग के कुटुम्ब प्रबोधन पर सामाजिक कार्यक्रम से पूर्व
आयोजित एक प्रेसवार्ता में की।
उन्होंने कहा कि संघ परिवार अपनी
स्थापना से ही समाज सेवा के कार्य में जुटा है। देश में जाति-धर्म के आधार
पर जो तनाव दिख रहा है,उसे संस्कारमय शिक्षा के आधार पर ही संतुलित किया जा
सकता है। समाज के हर वर्ग की प्रगति और उत्थान के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य
सुविधाएं सस्ती और सुलभ होनी चाहिए तथा रोजगार मिलना चाहिए। बदलते परिवेश
में बुजुर्गों का मान-सम्मान कम हो रहा है। कहीं न कहीं आस्था और विश्वास
में भटकाव नजर आ रहा है। बुजुर्गों का सम्मान कायम रहे,इसके लिए संस्कारों
की अवधारणा को नियमित रूप से क्रियान्वित करने की जरूरत है। बच्चे का मौलिक
बीजारोपण गर्भ के अंदर होता है,इसलिए संस्कारों का समावेश उसी अवस्था से
शुरू हो जाना चाहिए,तभी तो हम सभ्य समाज की सरंचना में अहम भूमिका अदा कर
पाएंगे।
मीडिया द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने
कहा कि कुटुम्ब प्रबोधन का मुख्य उद्द्ेश्य समाज की प्रथम ईकाई परिवार को
सशक्त और संस्कारी बनाना है ताकि परिवार समाजिक,ऐतिहासिक,धार्मिक और आर्थिक
क्षेत्र में उन्नति के शिखर पर पहुंचकर समाज और राष्ट्र की निरंतर सेवा कर
सके। भारत में हमेशा से ऐसे संस्कार रहे है कि यहां अनाथों,वृद्धों और
निराश्रितों को पूरा मान-सम्मान मिलता रहा है,लेकिन इस विषय को लेकर हम
भटकते जा रहे है। हमें इस भटकाव को दूर करने की जरूरत है।
बच्चों को
अपराधों,हिंसा और भ्रष्टाचार से बचाने के लिए हमारी संस्कृति के बुनियादी
पहलुओं से शिक्षित करने की जरूरत है। इस अवसर पर कुरूक्षेत्र विभाग प्रमुख
सीमा गुप्ता,बीजेपी नेता जगमोहन आनंद,नीरज गुप्ता,पंकज गोयल भी उपस्थित
रहे।