ड्रैगन ने फिर दी विवादों को हवा, अरुणाचल के 6 स्थानों का रखा चीनी नाम

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 19 अप्रैल 2017, 1:57 PM (IST)

बीजिंग। दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा को लेकर भारत के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराने के कुछ ही दिन बाद चीन ने पहली बार इस राज्य के छह स्थानों के ‘मानकीकृत’ आधिकारिक नामों की घोषणा कर दी है। इसी के साथ पहले से जोखिमपूर्ण चल रही स्थिति को और अधिक नाजुक बना दिया है। सरकारी मीडिया ने कहा है कि इस कदम का उद्देश्य राज्य पर चीन के दावे को दोहराना था। ची नइस राज्य को ‘दक्षिण तिब्बत’ कहता है।
सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स की खबर के अनुसार, चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने 14 अप्रैल को घोषणा की थी कि उसने केंद्र सरकार के नियमों के अनुरूप दक्षिण तिब्बत (जिसे भारत अरुणाचल प्रदेश कहता है) के छह स्थानों के नामों का चीनी, तिब्बती और रोमन वर्णों में मानकीकरण कर दिया है। रोमन वर्णों का इस्तेमाल कर रखे गए छह स्थानों के नाम वोग्यैनलिंग, मिला री, कोईदेंगारबो री, मेनकुका, बूमो ला और नमकापब री है। भारत और चीन की सीमा पर 3488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा विवाद का विषय है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत कहता है जबकि भारत का कहना है कि विवादित क्षेत्र अक्साई चिन क्षेत्र है, जिस पर चीन ने वर्ष 1962 के युद्ध में कब्जा कर लिया था। दोनों पक्ष अब तक सीमा विवाद को हल करने के लिए विशेष प्रतिनिधियों के साथ 19 वार्ताएं कर चुके हैं।
चीन के इस हालिया कदम से कुछ ही दिन पहले दलाई लामा ने अरुणाचल प्रदेश की यात्रा की थी। यह यात्रा उनके तवांग के रास्ते तिब्बत छोडऩे और भारत में शरण लेने के बाद सातवीं यात्रा थी। 81 वर्षीय तिब्बती आध्यात्मिक नेता की यात्रा के दौरान चीन ने भारत को चेतावनी दी थी कि वह अपनी क्षेत्रीय अखंडता और हितों की रक्षा के लिए ‘जरूरी कदम’ उठाएगा। चीन के सरकारी मीडिया ने कहा था कि अगर भारत दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश की यात्रा की अनुमति देकर घटिया खेल खेलता है, तो चीन को भी ‘ईंट का जवाब ईंट’ से देने में हिचकना नहीं चाहिए।

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दो अंग्रेजी अखबारों- चाइना डेली और ग्लोबल टाइम्स ने भारत के गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू के बयान के बाद भारत पर तीखा हमला बोला था। रिजिजू ने कहा था कि अरुणाचल प्रदेश, जिसे चीन दक्षिणी तिब्बत कहता है, वह भारत का अभिन्न हिस्सा है। रिजिजू की टिप्पणियों पर विरोध जताते हुए इन अखबारों ने कहा कि भारत दलाई लामा का इस्तेमाल चीन के खिलाफ एक ‘रणनीतिक हथियार’ के रूप में कर रहा है। वह ऐसा इसलिए कर रहा है, क्योंकि चीन ने परमाणू आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता और जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध के खिलाफ वीटो जैसे मजबूत अधिकार का इस्तेमाल किया है।
अखबार के अनुसार, छह स्थानों के नामों के मानकीकरण पर टिप्पणी करते हुए चीनी विशेषज्ञों ने कहा कि यह कदम विवादित क्षेत्र में देश की क्षेत्रीय संप्रभुता को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। बीजिंग की मिंजू यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना में एथनिक स्टडीज के प्रोफेसर जियोंग कुनजिन के हवाले से कहा गया, मानकीकरण का यह कदम एक ऐसे समय पर उठाया गया है, जब दक्षिण तिब्बत के भूगोल को लेकर चीन की सक्षम और इसके प्रति मान्यता बढ़ रही है। स्थानों के नाम तय करना दक्षिण तिब्बत में चीन की क्षेत्रीय अखंडता की पुष्टि की दिशा में उठाया गया कदम है। जियोंग ने कहा कि क्षेत्रों के नामों को वैध रूप देना कानून का हिस्सा है। तिब्बत एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज में एक शोधार्थी गुओ केफन ने कहा, ये नाम प्राचीन समय से अस्तित्व में हैं लेकिन ये पहले कभी मानकीकृत नहीं थे। इसलिए इन नामों की घोषणा एक तरह से उसका इलाज है।

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