बुरे ऋण के लिए आरबीआई के नए प्रावधान जारी

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017, 11:11 PM (IST)

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों की बढ़ती गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) या फंसे हुए ‘बुरे कर्जों’ की समस्या को हल करने के लिए सक्षम प्रावधानों का एक नया सेट जारी किया है। बैंकों के लिए ‘संशोधित त्वरित सुधार कार्रवाई (पीसीए) प्रावधान’ नामक अधिसूचना में आरबीआई ने कहा है कि नए प्रावधान 1 अप्रैल से प्रभावी होंगे और मौजूदा प्रावधान रद्द किए जाते हैं। नए प्रावधान प्रत्येक बैंक की मार्च 2017 की वित्तीय स्थिति पर आधारित है तथा तीन वर्षों के बाद नए ढांचे की समीक्षा की जाएगी।

संशोधित ढांचे के तहत, यदि कोई बैंक जोखिम सीमा के तीसरे स्तर को पार करता है (जहां एक बैंक की आम इक्विटी टीयर 1 पूंजी 3.125 फीसदी या उससे अधिक की 3.625 फीसदी की निर्धारित सीमा से नीचे गिरती है) तो बैंक का एकीकरण या विलय कर दिया जाएगा। शीर्ष बैंक ने यह भी कहा है कि यदि ‘अपने जमाकर्ताओं को दायित्वों को पूरा करने में बैंक चूकते हैं’ तो पीसीए प्रक्रिया के बिना भी बैंक पर कार्रवाई की जा सकती है।

इसमें कहा गया, ‘‘बैंक को ऑडिट किए गए वार्षिक वित्तीय परिणामों और आरबीआई के पर्यवेक्षी मूल्यांकन के आधार पर पीसीए प्रावधान के तहत रखा जाएगा। हालांकि, आरबीआई एक वर्ष के दौरान किसी भी बैंक पर पीसीए लागू कर सकता है।’’ आरबीआई ने कहा कि संशोधित पीसीए प्रावधान छोटे और विदेशी बैंकों सहित सभी बैंकों के लिए लागू है। नए प्रावधान में पूंजी, परिसंपत्ति गुणवत्ता और लाभप्रदता भी शामिल है, जो निगरानी के लिए प्रमुख क्षेत्रों के रूप में है।

आरबीआई ने कहा कि बैंकों द्वारा जोखिम सीमा 2 का उल्लंघन करने उनकी शाखा विस्तार पर प्रतिबंध लग जाएगा। जोखिम सीमा 3 का उल्लंघन करने पर सीमा 1 और सीमा 2 के उल्लंघन पर की जाने वाली कार्रवाई के अलावा प्रबंधकों के वेतन और निदेशकों की फीस पर रोक लगा दी जाएगी और अन्य सुधारात्मक कार्यवाही भी की जाएगी जैसे कि अधिकारियों को हटाने से लेकर बोर्ड को भंग करना तक शामिल है।

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