गोंडा। 20वीं शताब्दी के श्रेष्ठ चिन्तक, ओजस्वी लेखक, तथा
यशस्वी वक्ता एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री डॉ. भीमराव आंबेडकर भारतीय संविधान के प्रमुख
निर्माणकर्ता हैं। विधि विशेषज्ञ, अथक परिश्रमी एवं उत्कृष्ट कौशल के धनी
व उदारवादी, परन्तु सुा व्यक्ति के रूप
में डॉ. अम्बेडकर ने संविधान
के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जाति-पाति और छुआ-छूत का प्रभाव जब सारे देश में फैला हुआ था, उसी दौरान बचपन से ही
बाबा साहेब ने छुआ-छूत की पीङा
महसूस की थी। जाति के कारण उन्हें संस्कृत भाषा पढने से वंचित रहना पड़ा था। उन्होने इन सब परेशानियों के बावजूद दृढ़ इच्छाशक्ति के बूते देश को दुनिया का सबसे बड़ा और मजबूत संविधान दिया। इसलिए उनके जीवन दर्शन को आत्मसात करने की आवश्यकता है जिससे देश मजबूत हो सके। यह विचार जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने कलेक्ट्रेट सभागार में अम्बेडर जयंती समारोह के दौरान व्यक्त किए।
बाबा
साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के पश्चात जिलाधिकारी ने अम्बेडकर जी के जीवन दर्शन और मुख्य सोच पर प्रकाश डाला। जिलाधिकारी ने कहा कि आज के परिवेश में हर वर्ग के लिए सुलभ शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने की नितान्त आवश्यकता है। जिससे बाबा साहब की सोच के अनुसार समाज के हर वर्ग को स्वतः स्वावलम्बन मिल सके। इस अवसर पर मुख्य राजस्व अधिकारी अरूण कुमार शुक्ला ने अपने सम्बोधन में कहा कि बाबा साहब ने देश को ऐसा संविधान दिया जिसमें हर जाति वर्ग सभी के लिए बराबर के अवसर निहित हैं।
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उन्होने कहा कि यह उनकी दूरदर्शी सोच का नतीजा है।लिपिक सुरेन्द्र ने कहा कि आज भी बाबा साहब की सोच के अनुसार गरीब-अमीर केबीच की खाईं को दूर करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर गांधीपार्क स्थितटाउनहॉल में सूचना विभाग द्वारा भीमराव अम्बेडकर के जीवन दर्शन से जुड़ी प्रदर्शनीलगाई गई। प्रदर्शनी का शुभारम्भ सहायक निदेशक सूचना हंसराज ने किया। कार्यक्रम कासंचालन माता प्रसाद शुक्ला ने किया।