मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान से निखरा बावड़ी का प्राचीन स्वरूप

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017, 2:50 PM (IST)

करौली। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के प्रथम चरण को गांवो तक ही सीमित रखा गया था लेकिन दूसरे चरण में शहरों को भी शामिल किया गया है। अभियान के तहत दूसरे चरण के अन्तर्गत शहरों में जल संग्रहण के लिए पुरानी बावडियों, तालाबों एवं जौहडों का जीर्णाेंद्धार कराया जा रहा है।
जच्चा की बाबडी का इतिहासजच्चा की बाबडी हिण्डौन शहर के समीप प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है। यह करसौली एवं खरेटा रोड पर प्रहलाद कुण्ड के पास स्थित है। जनश्रुति के अनुसार बाबडी का निर्माण लख्खो बंजारे ने करवाया था। इस से जुडी रोचक घटना तो यह है कि जब खुदाई में जल नहीं निकला तो किसी साधु ने कहा कि यदि कोई गर्भवती महिला इसके अन्दर बच्चे को जन्म दे तो इसमें जल निकल आएगा। जनश्रुति के अनुसार जब एक बार इसका जल सूख गया तो इसकी साफ-सफाई की गई तो इसके अन्दर बीचों-बीच एक पत्थर के तख्त पर बच्चे को आंचल पिलाती हुई लेटी महिला की प्रस्तर प्रतिमा देखी गई। तभी से इसे जच्चा की बाबडी के नाम से जाना जाता है।
बनाबट एवं शिल्पकलाजच्चा की बाबडी का निर्माण बड़े ही कलात्मक रूप से किया गया है। 200 फिट चौडी और 200 फिट लम्बी इस वर्गाकार बाबडी में पानी तक पहुंचने के लिए जो सीढिया बनाई गई है। वो देखते ही आश्चर्यचकित कर देती है। बाबडी के चारों कोनों में चार चबूतरे हैऔर बीच में जच्चा की लेटी प्रस्तर प्रतिमा स्थापित है। बाबडी के उपर कुएं का ढाना है जिसके द्वारा जमीन की सिंचाई की जाती थी। बाबडी के किनारे पर एक प्राचीन मकान भी स्थित है जो अब क्षतिग्रस्त हो गया है।

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मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान (शहरी) के दूसरे चरण के अन्तर्गत हिण्डौन शहर के पास में स्थित बाबडी का जीर्णाेद्धार कराने के लिये 9 दिसम्बर 2016 को शिलान्यास विधायक हिण्डौन श्रीमति राजकुमारी जाटव एवं नगर परिषद हिण्डौन के सभापति श्री अरविन्द जैन के द्वारा किया गया। जच्चा की बाबडी का जीर्णोद्धार 2 लाख 11 हजार रूपये से करवाया गया जिससे बावडी की विलुप्त हुई सौन्दर्यता निखर कर बाहर आ गई।

बाबडी की खुदाई, साफ-सफाई दीवारों पर कंकरीट, प्लास्टर एवं पेन्ट, कंटीली झाडियों एवं पत्थरों को निकाला गया जिससे प्राचीन काल में निर्मित बाबडी का सुन्दर स्वरूप देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के अन्तर्गत इस बाबडी का चयन किया गया था। पहले बाबडी में मिट्टी भरी होने के कारण दीवारों ने भी अपनी रोनक खो दी ऐसे में अभियान के तहत इस बाबडी का जीर्णोद्धार करवाया गया जिससे यह बाबडी अब अपनी सुन्दरता अपने आप बयां कर रही है।

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