तीन साल से नहीं मिला मनरेगा मजदूरों को अपना भुगतान

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017, 11:25 AM (IST)

मंडी। पिछले तीन वर्षों 2014-15-16 से लोगों की खून पसीने की लंबित मनरेगा मजदूरी का भुगतान लगभग हर पंचायत में नहीं हो पाया है। विशेष तौर पर ग्राम पंचायत खोलानाल, कशौड़, नलवागी, कुकलाह, कल्हणी, थरजूण, तुंगाधार, थाना, थाची, सोमगाढ़, शिकावरी, शिल्हीबागी, पंजाई, मूराह, लंबाथाच, काकड़ाधार, गुडाह और भाटकीधार आदि के हजारों मनरेगा मजदूरों की मजदूरी का भुगतान लंबित है। जिससे मंहगाई, बेराजगारी और नोटबंदी के इस दौर में राशन, स्कूली फीसे, कापियां किताबे और बीमारी जैसी बुनियादि जरुरतों को पूरा करना भी दूभर हो गया है। ऐसे में किसान बचाओ हिमाचल बचाओ अभियान ने विकास खंड सराज में पिछले तीन वर्षों 2014-15-16 से लंबित मनरेगा मजदूरी भुगतान को लेकर जिलाधीश मण्डी और उनके माध्यम से मुख्यमंत्री को शिकायत पत्र भेजा।

अभियान संयोजक देशराज शर्मा प्रवक्ता कैप्टन ओसी ठाकुर व जीवा नंद सराजी ने बताया कि विकास खंड सराज में हिमाचल की वह पिछड़ी पंचायतें है जहां अभी तक सडक तक नहीं पहुंच पाई है। यहां हर तरह का अन्याय जनता के साथ बेराकटोक आम बात है। उन्होने बताया कि मनरेगा में साल में 100 दिनों के बजाय 10 दिनों का भी रोजगार नहीं मिल पा रहा है। उस पर जो दिहाड़ी लगती है। उसकी प्रोग्रेस के हिसाब से दिहाड़ी बनाई जा रही है। जो 170 रुपये दिहाडी के बजाय महज 35 रुपये तक दी जा रही है। जबकि इसमें गलती काम लेने वाले की है। साथ ही काम की किस्म में भी प्रोग्रेस अलग अलग होती है। जैसे पत्थर तोडऩे का काम, पानी पिलाने व बच्चों को संभालने का काम, जबकि मिस्त्री का काम मजदूरों से ही करवाया जाता है।

मनरेगा सहायक जॉब कार्ड होल्डर के आवेदन तक लेने नहीं आते। उनका हर काम में टालमटोल का रवैया रहता है। लोगों को कहा जाता है कि अपने बैंक खाते में देखों कि पैसा आ गया होगा। लोग जब बैंक जाते हैं तो वहां खाता खाली होता है।

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