अधिवक्ता अरविंद सिंह की दलील के आगे पुलिस की स्टोरी ने तोड़ादम

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017, 11:08 AM (IST)

सुल्तानपुर। यूपी के सुल्तानपुर में कोतवाली देहात थाने की पुलिस ने एक पखवारे पहले तमंचा, कारतूस, बाइक और टार्च के साथ एक आरोपी को पकड़ा और चालान कर जेल भेज दिया। गुरुवार को आरोपी की ज़मानत के लिए अधिवक्ता अरविंद सिंह राजा ने अर्जी दी, जहां दौरान बहस श्री सिंह की दलीलों के आगे पुलिस की स्टोरी ने दमतोड़ दिया। ऐसे में कोर्ट ने आरोपी को फिलहाल ज़मानत पर रिहा कर दिया है।
इन धाराओं में किया चालान, बरामदगी में दिखाया ये

जानकारी के अनुसार कोतवाली देहात पुलिस ने 31 मार्च की रात इसी थाना क्षेत्र के माधवपुर कुछमुछ गाँव निवासी शेखु अहमद को गिरफ्तार किया। पुलिस ने आरोपी के पास से तमंचा, कारतूस, बाइक और टार्च बरामदगी की बात दर्शाते हुए उसे भा.द.वि. की धारा 398 और 402 के तहत चालान काटकर जेल भेज दिया।
इस मामले में पुलिस ने आरोपी की ओर बयान दर्ज किया कि उसके साथ झुराहा उर्फ भूरे और मो. शरीर उर्फ तस्लीम भी थे, जो कि भाग गए। वहीं पुलिस ने स्टोरी के आधार पर बाइक की बरामदगी में लिखा कि पकड़े गए आरोपी ने बताया कि उक्त बाइक झुराहा उर्फ भूरे कि है जिसे उसने कहीं से चोरी किया है।
अदालत में अधिवक्ता ने रखा ये तार्किक दलील
इसी क्रम में आरोपी के ओर से दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता अरविंद सिंह राजा ने गुरुवार को ज़मानत अर्जी लगाते हुए तर्क रखा कि आरोपी निर्दोष है। श्री सिंह ने अदालत से कहा कि कथित बरामदगी और कथित गिरफ्तारी का कोई साक्ष्य नहीं है, जिससे प्रकरण फर्जी प्रतीत होता है।

वहीं अधिवक्ता श्री सिंह ने धारा 50ए द.प्र.सं. का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस ने इसका पालन ही नहीं किया। साथ ही उन्होंने पुलिस पर घटना के एक दिन पहले ही आरोपी को घर से उठा लाने का भी आरोप लगाया। ऐसे तमाम तार्किक दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता को भी सुना।
अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता ने ये रखा तर्क
अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता ने आपत्ति में कहा कि आरोपी अपने सह आरोपियों के साथ मिलकर कंधईपुर बाज़ार में सोनार की दुकान में डकैती डालने की योजना बना रहा था, उस समय इसे गिरफ्तार किया गया। अभियोजन पक्ष ने अदालत के समक्ष अन्य तर्क भी रखे।
इस आधार पर सत्र न्यायाधीश ने दिया ज़मानत
लेकिन अंत में सत्र न्यायाधीश ने पुलिस के पत्रों का अवलोकन किया, जहां उन्हें फर्द गिरफ्तारी एवं बरामदगी का कोई स्वतंत्र गवाह नहीं मिला। आरोपी का कोई आपराधिक इतिहास भी अभियोजन और पुलिस द्वारा नहीं बताया जा सका। ऐसे में सत्र न्यायाधीश ने आरोपी को ज़मानत पर रिहा कर दिया।

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