इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी हिंदू विश्वविद्यालय में
शिक्षकों की भर्ती पर रोक लगा दी है। बीएचयू में इस समय 400 पदों
पर भर्ती प्रक्रिया चल रही थी। जिसमे शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक भर्ती की जानी थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस भर्ती को चुनौती दी गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए
उच्चन्यायालय ने शैक्षणिक पदों की भर्ती पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट
में इस भर्ती प्रक्रिया में रोस्टर के मुताबिक आरक्षण लागू नहीं करने का आरोप है।
विश्वविद्यालय से जवाब तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट में डा. आनंद देव राय व अन्य ने याचिका दाखिल
की। जिसमे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में विज्ञापन संख्या 11- 2016-17 के तहत 400 पदों की भर्ती प्रक्रिया को चुनौती दी गई। याचिका को स्वीकार करते हुये जस्टिस विक्रम
नाथ और जस्टिस डीएस त्रिपाठी की बेंच ने सुनवाई शुरू की। कोर्ट ने विश्वविद्यालय
प्रशासन से जवाब तलब करते हुए भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी
है।
आरक्षण का पेंच
मामले की सुनवाई के दौरान दलील दी गई कि बीएचयू को एक इकाई माना
गया है जो गलत है। क्योंकि बीएचयू राज्य विश्वविद्यालय की श्रेणी में आता है। ऐसे
में जब राज्य विश्वविद्यालयों में विभागवार रिक्तियों पर आरक्षण लागू होता है। तो
बीएचयू में इस आरक्षण प्रक्रिया को लागू न कर नियमों का उल्लंघन किया गया है।
बीएचयू द्वारा लागू किया जा रहा आरक्षण गलत है। न्यायालय ने प्रकरण को विचारणीय
मानते हुए शैक्षणिक भर्ती पर रोक लगा दी है। हालांकि गैर शैक्षणिक भर्तियां जारी
रहेंगी। अब विश्वविद्यालय की ओर से जवाब आने के बाद मामला नया मोड़ ले सकता है।
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बीएचयू ने इससे पूर्व भी इन्ही पदो पर यानी असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के लिये विज्ञापन संख्या 2-2016-17 जारी कर भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। तब विवेकानंद तिवारी की याचिका पर हाईकोर्ट ने शिक्षकों भर्तियों पर भी रोक लगा दी थी। इसके आधार पर ही 400पदों की नयी भर्ती पर रोक लगा दी गई है।