प्राइमरी शिक्षक ने कायम की मिसाल, बेटी को बना दिया दूसरी पीटी ऊषा

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 31 मार्च 2017, 11:13 AM (IST)

सुलतानपुर। अमूमन समाज में एक धारणा बनी है कि परिषदीय विद्यालयों के शिक्षक अपने खुद के बच्चों को इन स्कूलों में नही पढाते हैं, लेकिन सुलतानपुर के एक शिक्षक ने इस धारणा को गलत साबित करते हुये अपनी तीन बच्चियों को प्राइमरी में पढाना शुरू किया। इतना ही नही अपनी मेहनत और लगन से उसने अपनी बेटी को शिक्षा के साथ-साथ खेलों में इतना पारंगत कर दिया कि वह दूसरी पीटी ऊषा बन गई। प्राइमरी का यह शिक्षक न केवल अपने साथी शिक्षकों के लिये मिसाल है बल्कि तमाम सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिये भी एक मिसाल है जो परिषदीय स्कूलों में अपने बच्चों को पढाने से गुरेज करते हैं।
इन बच्चों के उत्साह और ललक को देखिये और हो भी क्यों न। इन्होने फैजाबाद मंडल का प्रतिनिधित्व करते हुये राज्य स्तरीय बाल क्रीडा खेलकूद प्रतियोगिता में 04 गोल्ड और दो सिल्वर मेडल दिलाकर सुलतानपुर का नाम जो रोशन किया है। लखनऊ में चार दिन पहले हुई तीसवीं राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में पूरे सूबे के 18 मंडलों की टीमों ने हिस्सा लिया था।

एथलेटिक्स, हैंडबाल, बैडमिंटन और डिस्कस थ्रो में इन बच्चों का दबदबा रहा और मेडल जीत कर सूबे के बाकी 18 मंडलों को काफी पीछे छोड़ दिया। खास बात यह कि इसमें तीन स्वर्ण पदक एक ही बालिका ने जीत कर कीर्तिमान स्थापित कर दिया। सौ मीटर, दो सौ मीटर और लम्बी कूद में 3 गोल्ड मेडल जीत कर सोनाक्षी जूनियर पीटी ऊषा बन गई।

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सोनाक्षी के पिता राकेश कनौजिया प्राथमिक विद्यालय कुसेला में प्रधानाध्यापक हैं। इसी स्कूल में इनकी तीन बेटियां पढती हैं। राकेश का मानना है कि लोगों की गलत धारणा है कि परिषदीय स्कूलों में पढाई नही होती। इसी धारणा को गलत साबित करने के लिये कान्वेन्ट और मांटेसरी स्कूलों की चमक-दमक से दूर इन्होने जानबूझ कर अपनी बेटियों को अपने स्कूल में नाम लिखाया।

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कड़ी मेहनत और अच्छे अध्यापन से न केवल यह स्कूल के तमाम बच्चों का भविष्य सुधार रहे हैं बल्कि अच्छी प्रतिभाओं को खेल में भी आगे बढा रहे हैं।

बेसिक शिक्षा अधिकारी कौस्तुभ कुमार भी अपने इस अध्यापक के समर्पण से काफी उत्साहित हैं। यही वजह है कि इन्होने इन बच्चों और अपने शिक्षक को बुलाकर खुद सम्मानित किया।

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जिससे दूसरे शिक्षकों के साथ-साथ तमाम सरकारी विभागों के अधिकारी और कर्मचारी प्रेरणा लें और इन स्कूलों में अपने बच्चों को भी पढायें।

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