भीलवाड़ा। 200 वर्षों से चली आ रही परंपरा के तहत होली के 7 दिन बाद शीतला सप्तमी के अवसर पर शहर में मुर्दें की सवारी निकाली गई। जिसमें एक व्यक्ति को अर्थी पर लेटाकर उसे कंधों पर उठाकर शवयात्रा निकाली गई। शव यात्रा शहर के मुख्य मार्गों से होती हुई बड़े मन्दिर के पास पहुंचती है, जहां अर्थी को जला दिया जाता है। मुर्दे की सवारी को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा पुख्ता इंतजाम किए और ड्रॉन से वीडियोग्राफी कराई। मनोरंजन के उद्देश्य से निकाली जाने वाली इस नकली शवयात्रा में जिंदा व्यक्ति को सनेती अर्थी पर लेटाया जाता है और कुछ लोग उसे कंधों पर उठाकर चलते हैं। बाकी लोग हंसते गाते व गालियां देते हुए अबीर-गुलाल उड़ाते हुए चलते हैं। उसके उपरान्त अर्थी जैसे ही यथास्थान पहुंचती है तो उस पर लेटा व्यक्ति कूदकर भाग जाता है और लोग खाली अर्थी का अन्तिम संस्कार कर देते हैं।