संसार में प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी ग्रह से पीड़ित है।
ग्रहों की शांति के लिए सरल एवं अचूक उपाय बताए गए हैं। उनमें से केवल 9
उपायों को अपनाने से जीवन में शांति आ सकती है और जीवन सुखमय बन सकता है-
सूर्य
ग्रहों का राजा है। इसलिए देवाधिदेव भगवान् विष्णु की अराधना से सूर्य देव
प्रसन्न होते हैं। सूर्य को जल देना, गायत्री मंत्र का जप करना, रविवार का
व्रत करना तथा रविवार को केवल मीठा भोजन करने से सूर्य देव प्रसन्न होते
हैं। सूर्य का रत्न माणिक्य धारण करना चाहिए परंतु यदि क्षमता न हो तो
तांबे की अंगूठी में सूर्य देव का चिह्न बनवाकर दाहिने हाथ की अनामिका में
धारण करें (रविवार के दिन) तथा साथ ही सूर्य के मंत्र का 108 बार जप करें।
ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
ग्रहों में चंद्रमा को स्त्री स्वरूप माना है। भगवान
शिव ने चंद्रमा को मस्तक पर धारण किया है। चंद्रमा के देवता भगवान शिव हैं।
सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं व शिव चालीसा का पाठ करें। 16 सोमवार
का व्रत करें तो चंद्रमा ग्रह द्वारा प्रदत्त कष्ट दूर होते हैं। रत्नों
में मोती चांदी की अंगूठी में धारण कर सकते हैं। चंद्रमा के दान में दूध,
चीनी, चावल, सफेद पुष्प, दही (सफेद वस्तुओं) का दान दिया जाता है तथा मंत्र
जप भी कर सकते हैं।
ऊँ सों सोमाय नमः
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जन्मकुंडली में मंगल यदि अशुभ हो तो मंगलवार का व्रत करें,
हनुमान चालीसा, सुंदरकांड का पाठ करें। मूंगा रत्न धारण करें या तांबे की
अंगूठी बनवाकर उसमें हनुमान जी का चित्र अंकितकर मंगलवार को धारण कर सकते
हैं। स्त्रियों को हनुमान जी की पूजा करना वर्जित बताया गया है। मंगल के
दान में गुड़, तांबा, लाल चंदन, लाल फूल, फल एवं लाल वस्त्र का दान दें।
ऊँ अं अंगारकाय नमः
ग्रहों में बुध युवराज है। बुध यदि अशुभ स्थिति में हो तो
हरा वस्त्र न पहनें तथा भूलकर भी तोता न पालें। अन्यथा स्वास्थ्य खराब रह
सकता है। बुध संबंधी दान में हरी मूंग, हरे फल, हरी सब्जी, हरा कपड़ा
दान-दक्षिणा सहित दें व बीज मंत्र का जप करें।
ऊँ बुं बुधाय नमः
गुरु :
ऎसे देखे अपना भविष्य और परेशानियों से पाएं छूटकारा
गुरु का अर्थ ही महान है- सर्वाधिक अनुशासन,
ईमानदार एवं कर्त्तव्यनिष्ठ। गुरु तो देव गुरु हैं। जिस जातक का गुरु
निर्बल, वक्री, अस्त या पापी ग्रहों के साथ हो तो वह ब्रह्माजी की पूजा
करें। केले के वृक्ष की पूजा एवं पीपल की पूजा करें। पीली वस्तुओं (बूंदी
के लडडू, पीले वस्त्र, हल्दी, चने की दाल, पीले फल) आदि का दान दें। रत्नों
में पुखराज सोने की अंगूठी में धारण कर सकते हैं व बृहस्पति के मंत्र का
जप करते रहें।
ऊँ बृं बृहस्पतये नमः
शुक्र असुरों का गुरु, भोग-विलास, गृहस्थ एवं सुख का स्वामी
है। शुक्र स्त्री जातक है तथा जन समाज का प्रतिनिधित्व करता है। जिन जातकों
का शुक्र पीड़ित करता हो, उन्हें गाय को चारा, ज्वार खिलाना चाहिए एवं समाज
सेवा करनी चाहिए। रत्नों में हीरा धारण करना चाहिए या बीज मंत्र का जप
करें।
ऊँ शुं शुक्राय नमः
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सूर्य पुत्र शनि,
ग्रहों में न्यायाधीश है तथा न्याय सदैव कठोर ही होता है जिससे लोग शनि से
भयभीत रहते हैं। शनि चाहे तो राजा को रंक तथा रंक को राजा बना देता है। शनि
पीड़ा निवृत्ति हेतु महामृत्युंजय का जप, शिव आराधना करनी चाहिए। शनि के
क्रोध से बचने के लिए काले उड़द, काले तिल, तेल एवं काले वस्त्र का दान दें।
शनि के रत्न (नीलम) को धारण कर सकते हैं।
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
राहु की राक्षसी प्रवृत्ति है। इसे ड्रेगन्स हैड भी कहते
हैं। राहु के दान में कंबल, लोहा, काले फूल, नारियल, कोयला एवं खोटे सिक्के
आते हैं। नारियल को बहते जल में बहा देने से राहु शांत हो जाता है। राहु
की महादशा या अंतर्दशा में राहु के मंत्र का जप करते रहें। गोमेद रत्न धारण
करें।
ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।
केतु राक्षसी मनोवृत्ति वाले राहु का निम्न भाग है। राहु शनि के साथ
समानता रखता है एवं केतु मंगल के साथ। इसके आराध्य देव गणपति जी हैं। केतु
के उपाय के लिए काले कुत्ते को शनिवार के दिन खाना खिलाना चाहिए। किसी
मंदिर या धार्मिक स्थान में कंबल दान दें। रत्नों में लहसुनिया धारण करें।
ऊँ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः