दिल्ली निगम चुनाव:किसी मौजूदा पार्षद को नहीं लड़ाएगी भाजपा

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 14 मार्च 2017, 5:05 PM (IST)

नई दिल्ली। भाजपा ने आगामी एमसीडी चुनावों में किसी भी मौजूदा निगम पार्षद को टिकट नहीं देने का फैसला किया है। इतना ही नहीं, मौजूदा पार्षदों के किसी रिश्तेदार को भी टिकट नहीं दिया जाएगा। भाजपा ने इसके पीछे नए लोगों को मौका दिए जाने का कारण बताया है। दिल्ली भाजपा चीफ मनोज तिवारी ने मंगलवार को बताया कि बहुत सोच-समझकर पार्टी ने यह निर्णय किया है।
तिवारी ने कहा है कि आने वाला आमसीडी चुनाव किसी भी मौजूदा निगम पार्षद को नहीं लड़ाया जाएगा, न ही इनके रिश्तेदारों को भी पार्टी मैदान में उतारेगी। नए लोगों को मौका दिया जाएगा। तिवारी ने कहा कि पार्टी के पास कार्यकर्ताओं की कोई कमी नहीं है इसलिए निगम पार्ष पार्टी का काम करेंगे।
दिल्ली में मंगलवार शाम एमसीडी चुनावों की घोषणा हो सकती है। अप्रैल में चुनाव होने के आसार हैं। बता दें की भाजपा दिल्ली के तीनों नगर निगम पर सत्तारूढ़ है। इस बीच खबर है कि 4 राज्यों में पार्टी को शानदार जीत दिलाने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली नगर निगम चुनावों पर अपनी नजरें टिका ली हैं। शाह इन चुनावों के लिए रणनीति बनाने में जुट गए हैं।
पांच राज्यों में मिली जीत से उत्साहित पार्टी ने मौजूदा पार्षदों को टिकट नहीं देने का फैसला कर बड़ा दांव खेला है। पार्टी के इस कठिन निर्णय पर विरोध के सवाल पर तिवारी ने कहा, ‘सबसे विचार विमर्श करके यह फैसला किया गया है और इसपर किसी का विरोध नहीं होने वाला है।’ तिवारी ने साथ ही दावा किया कि बीजेपी के नेतृत्व वाली एमसीडी ने दिल्ली को बचा रखा है।’ उन्होंने कहा कि पार्टी एमसीडी के कार्यों का लिखित ब्योरा दे रही है। उन्होंने कहा, ‘बीजेपी के लोग पद के लिए काम नहीं करते हैं।’ तिवारी ने कहा, ‘सभी को नए लोगों के राजनीति में आने का स्वागत करना चाहिए। सभी को योग्यता के अनुसार ही टिकट मिलेगा।’ इस बीच हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ के अनुसार शाह ने एमसीडी चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने के लिए कमर कस ली है। तिवारी ने कहा कि बीजेपी के फैसले से पुराने लोगों को तकलीफ हो सकती है, लेकिन नए लोगों को भी मौका मिलना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार से एमसीडी को जो बजट मिलना चाहिए था वह नहीं मिला। तिवारी ने कहा, पार्टी के इस फैसले से अब परिवारवाद नहीं रहेगा।

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उधर, विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर दिल्ली में आप नेताओं में बेचैनी देखी जा रही है। आप नेता मान रहे हैं कि पंजाब और गोवा में पार्टी के प्रदर्शन से राष्ट्रीय राजधानी में होने वाले आगामी निगम चुनावों पर उसकी संभावनों पर प्रभाव पड़ेगा। चुनाव नतीजों से पहले भी आप नेता दबी जुबान में इस बात को स्वीकार करते दिखे थे। दिल्ली आप के उपाध्यक्ष ने अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया था, ‘राज्य में खराब प्रदर्शन से पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह ठंडा पड़ता है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि एमसीडी के चुनावों में पंजाब के नतीजों से संगठन की स्थिति मजबूत होगी।’ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गोवा में अपने चुनाव प्रचार और रैलियों में दावा किया था कि आप गोवा और पंजाब में सबका सूपड़ा साफ कर देगी। इसके विपरीत आप गोवा में अपना खाता भी नहीं खोल सकी और उनके मुख्यमंत्री उम्मीदवार एल्विस गोम्स चौथे स्थान पर रहे। हालांकि पंजाब में आप ने 20 सीट जीतीं और प्रमुख विपक्षी पार्टी बनकर उभरी। आप के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास ने इस हार के बाद कहा था, ‘पराजय से कार्यकर्ताओं के उत्साह पर असर होता है, पर पार्टी नेतृत्व के लिए उन्हें एकजुट रखना और अगले चुनाव के लिए तैयारी करना एक जिम्मेदारी है।’

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