लखनऊ। रेप केस में फरार चल रहे उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति पर पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। उनके खिलाफ नॉन बेलेबल वॉरंट जारी करने के साथ पुलिस उनकी सारी संपति कुर्क करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए यूपी पुलिस आज कोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रही है। महज 10 साल में फर्श से अर्श तक पहुंचने वाले गायत्री साल 2002 में बीपीएल कार्ड धारक हुआ करते थे, लेकिन आज वह 942 करोड़ से अधिक की संपति के मालिक बताए जा रहे हैं।
हालांकि गायत्री प्रजापति ने अपने हलफनामे में बताया है कि उनके पास कुल 10 करोड़ की संपत्ति है। इसमें उनके पास 1 करोड़ 17 लाख 55 हजार रुपये और पत्नी के नाम 1 करोड़ 68 लाख 21 हजार रुपये की चल संपत्ति है। गायत्री के पास 5 करोड़ 71 लाख 13 हजार रुपये और उनकी पत्नी के पास 72 लाख 91 हजार 191 रुपये की अचल संपत्ति है। गायत्री के पास 100 ग्राम, तो पत्नी के पास 320 ग्राम सोना है। इसके साथ ही एक पिस्टल, रायफल और बंदूक के साथ उन्होंने गाड़ी में एक जीप दिखाया है।
यूपी सरकार के सबसे विवादस्पद मंत्रियों में शुमार गायत्री प्रसाद प्रजापति साल 2002 तक गरीबी रेखा के नीचे आते थे। साल 2012 में उन्होंने अपनी कुल संपत्ति 1.83 करोड़ रुपये बताई थी। साल 2009-10 में उनकी सालाना आय 3.71 लाख रुपये थी। लेकिन वही गायत्री प्रसाद प्रजापति अब बीएमडब्लू जैसी लग्जरी कार से चलते हैं। गायत्री प्रजापति के परिजनों और उनके करीबियों के स्वामित्व में 13 कंपनियों का भी आरोप हैं, जिनमें उनके दोनों बेटे, भाई और भतीजे को डायरेक्टर बताया गया है।
विधायक बनने के बाद छूते चले गए ऊंचाइयां
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फैजाबाद के अवध विश्वविद्यालय से कला में स्नातक करने वाले
गायत्री प्रसाद प्रजापति पहली बार 2012 में विधायक बने। इसके बाद ऊंचाइयां
छूते चले गए। कभी मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन धूमधाम से मनाकर सपा के
शीर्ष नेतृत्व की नजर में आने वाले गायत्री कब सपा परिवार के करीबी बन गए,
पता ही नहीं चला। उनको फरवरी 2013 में सिंचाई राज्यमंत्री बनाया गया। इसके
बाद स्वतन्त्र प्रभार खनन मंत्री पद से नवाजा गया। जनवरी 2014 में उनको इसी
विभाग में कैबिनेट मंत्री बना दिया गया।
महज एक साल में गायत्री के हुए तीन प्रमोशन
आरोप
लगाया जाता है कि बतौर खनन मंत्री गायत्री ने अकूत संपत्ति एकत्र कर ली।
इसी बीच हाईकोर्ट ने खनन विभाग में अनिमियताओं को लेकर सीबीआई जांच के आदेश
दे दिए, तो यूपी सरकार और गायत्री दोनों को जोरदार झटका लगा। 12 सितंबर,
2016 को सीएम अखिलेश यादव ने गायत्री प्रजापति को मंत्रिमंडल से बर्खास्त
कर दिया। इसे बाद हुए सियासी ड्रामे के बाद अखिलेश सरकार ने उनको फिर से
मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया। इस बार उनको फिर परिवहन मंत्रालय की कमान दे
दी गई।
यूपी में विधानसभा चुनाव के दौरान गायत्री प्रजापति एक बार फिर
तब सुर्खियों में आए, जब सुप्रीम कोर्ट ने उन पर रेप का केस दर्ज करने का
यूपी पुलिस को आदेश दिया। इसके बाद से गायत्री फरार चल रहे हैं। कोर्ट के
आदेश के बाद यूपी पुलिस ने गायत्री प्रजापति और उनके सहयोगियों अशोक
तिवारी, पिंटू सिंह, विकास शर्मा, चंद्रपाल, रूपेश और आशीष शुक्ला के खिलाफ
आईपीसी की धारा 376, 376डी, 511, 504, 506 और पॉक्सो एक्ट के तहत रिपोर्ट
दर्ज किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया केस दर्ज करने का आदेश
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पीडि़ता ने पहले अपनी शिकायत पुलिस मेंकी, मगर उसने कोई कार्रवाई नहीं की, तो वह सूबे के आलाधिकारियों से मिली। इसके बाद भी पुलिस से जब पीडि़ता को इंसाफ नहीं मिला, तो उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन वहां उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया। इसके बाद भी पीडि़ता ने हार नहीं मानी और वह सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री प्रजापति को जोरदार झटका देते हुए पुलिस को निर्देश दिया कि इस मामले में केस दर्ज करके तेजी से जांच की जाए। इस मामले में आठ हफ्ते में रिपोर्ट भी पेश करना है।
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