मथुरा। कान्हा की नगरी मथुरा महाशिवरात्रि पर शिवभक्ति में डूबी गई। यहां महाशिवरात्रि पर्व पर भोले नाथ के जयकारों से सभी शिव मंदिर गुंजायमान हो उठे।
खासकर विश्व के एकमात्र वृंदावन के गोपेश्वर मंदिर में खासी भीड़ उमड़ी। इस मंदिर में भगवान शिव गोपी स्वरूप विराजमान हैं। गोपेश्वर मंदिर में भगवान शिव का सोलह श्रृंगार देख हर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गया। शिव के गोपेश्वर स्वरूप के पीछे पौराणिक कथा है।
महारास में महिलाएं ही हो सकती थीं शामिल
कहा जाता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ यहां महारास किया था। इसे देखने 33 करोड़ देवता आए थे, लेकिन उन्हें जब ये पता चला कि राधा कृष्ण के महारास को केवल महिलाएं ही देख सकती हैं तो सभी देवता वापस लौट गए, लेकिन भगवान शंकर नहीं लौटे। जिसके बाद पार्वती ने उन्हें यमुना महारानी के पास भेज दिया। यमुना ने भोले भंडारी को गोपी का रूप धारण कराया। गोपी रूप में भगवान शंकर भी महारास करने लगे। जिन्हें भगवान कृष्ण ने पहचान लिया। महारास के बाद भगवान कृष्ण ने भगवान शंकर की आराधना की। राधा ने उन्हें वरदान दिया कि आज से लोग यहां गोपी के रूप में आपकी पूजा करेंगे। तब से लेकर आज तक यहां लोग शिव को गोपी के रूप में पूजते हैं। गोपेश्वर महादेव के श्रृंगार किया जाता है।
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द्वापर काल से लेकर आज तक यहां भगवान शिव को गोपी रूप में पूजा जाता है।
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