लंदन में गुजराती व्यंजनों की खुशबू बिखेरने वाले शेफ दिनेश पटेल उस वक्त सुर्खियों में आए, जब उन्होंने अपने स्वाद के बल पर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रियलिटी शो ‘मास्टरशेफ इंडिया’ में भारतीय-पश्चिमी स्वाद के मिश्रण से जजों का दिल जीता। लंदनवासियों के बीच अपने स्वाद का परचम लहराने के बाद दिनेश अपने व्यंजनों के जायके को भारत के लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।
दिनेश ने हाल ही में आगरा के रैडिसन ब्लू होटल में आयोजित ‘मास्टरक्लास सेशन विद दिनेश पटेल’ कार्यक्रम में हिस्सा लिया। यहां उन्होंने आगरा के मशहूर पेठे से बनने वाले व्यंजनों का मेहमानों के साथ ही आगरावासियों से भी परिचय कराया।
दिनेश ने आईएएनएस को एक खास बातचीत में बताया, ‘मैंने लंदन के लोगों के बीच भारतीय व्यंजनों को परोसा, वहां केवल भारतीय ही नहीं, बल्कि स्थानीय लोग भी भारत के जायकों के दीवाने हैं। मैंने वहां आठ साल तक काम किया और मास्टरशेफ इंडिया के लिए मैं वापस भारत आया। इस सफर के दौरान मुझे महसूस हुआ कि विदेश में आप कितने ही प्रसिद्ध क्यों न हो जाएं, लेकिन असली खुशी तभी होती है जब अपने लोगों के बीच आपकी पहचान बने।’
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दिनेश पटेल ने अपना सफर पेस्ट्री की एक दुकान से शुरू किया था, जो लंदन में
प्रसारित होता हुआ मास्टरशेफ इंडिया तक पहुंचा। यह पूछे जाने पर कि दिनेश
को पाक कला की प्रेरणा कैसे मिली, उन्होंने कहा, ‘भोजन के प्रति मेरा प्यार
और शेफ बनने के पीछे मेरी दादी का हाथ रहा है। मैं बचपन में उन्हें खाना
बनाते हुए देखता था तो मेरे मन में भी भोजन को लेकर दिलचस्पी बढ़ती थी।
मैंने अपनी दादी से बहुत कुछ सीखा और मैं यह कहना चाहूंगा कि मैंने अब तक
जो कुछ हासिल किया है, उसका श्रेय मेरी दादी को जाता है।’
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दिनेश
भारतीय व विदेशी दोनों ही तरह का खाना बनाने में माहिर हैं, ऐसा कौन सा खास
व्यंजन है, जिसे बनाने में उन्हें सबसे ज्यादा मजा आता है? इस सवाल पर
उन्होंने कहा, ‘प्रॉन करी बनाने में मेरी दादी का कोई जवाब नहीं। इसे बनाना
मुझे काफी पसंद है, लेकिन मैंने अब तक अपनी दादी जैसी करी बनाने में सफलता
नहीं पाई है। मैं कितनी बार भी कोशिश कर लूं, मुझसे कोई न कोई कसर रह ही
जाती है।’
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लंदन में ‘डेजर्ट किंग’ नाम से मशहूर दिनेश की वहां कई
पेस्ट्री रेस्तरां हैं। भारत में अपनी योजनाओं पर बात करते हुए उन्होंने
कहा, ‘मैं भारत में एशियन-फ्यूजन व्यंजनों को लोगों के सामने परोसना चाहता
हूं। मैं काफी सालों से इस पर काम कर रहा हूं, इसलिए मुझे लगता है कि इसके
लिए भारतीय बाजार एक बेहतर गतंव्य हो सकता है।’
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उन्होंने कहा, ‘यहां
के लोग पारंपरिक के साथ ही कुछ नया खाने के शौकीन हैं। उदाहरण के तौर पर
यहां की कई सारी पारंपरिक मिठाइयों को नया ढंग से परोसा जा सकता है। मैं
इंग्लैंड में भारतीय व्यंजनों को अलग-अलग ढंग से परोसता था, जो वहां रह रहे
भारतीयों के साथ ही अन्य लोगों के लिए भी अलग अनुभव होता था, कुछ इस तरह
का प्रयोग मैं यहां भी करने की योजना बना रहा हूं।’
‘मास्टरशेफ इंडिया’
के सीजन-5 के अंतिम तीन प्रतिभागियों में शामिल रहे दिनेश से जब पूछा गया
कि मास्टरशेफ इंडिया से उनके करियर में क्या बदलाव आया तो उन्होंने कहा,
‘यह मेरे जीवन का टर्निग प्वाइंट था। मास्टरशेफ के बाद मैंने अपने करियर
में काफी कुछ हासिल किया। मैं पाककला पर आधारित एक टेलीविजन श्रृंखला और एक
किताब पर काम कर रहा हूं। इस कार्यक्रम के दौरान मुझे न केवल एक शेफ के
रूप में, बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर भी बहुत कुछ सीखने का मौका मिला।’
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भारत
में पाककला का दर्जा ऊंचा है, लेकिन अभी भी भारतीय समाज में शेफ यानी
पुरुष खानसामों के काम को ज्यादा सम्मान की नजरों से नहीं देखा जाता। आप
इससे सहमत हैं? जवाब में दिनेश ने कहा, ‘यह बिल्कुल सही बात है कि अभी भी
हमारे समाज में शेफ के काम को महत्व नहीं दिया जाता है, लेकिन इसके बाद भी
भारतीय पुरुषों व महिलाएं दोनों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय पाककला
का डंका बजाया है। लेकिन यहां धीरे-धीरे ही सही, बदलाव हो रहा है और इसीलिए
मास्टरशेफ इंडिया जैसे कार्यक्रम की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। मैं
कहना चाहूंगा कि आपको जो काम अच्छा लगता है, उसे पूरी ईमानदारी व मेहनत से
करते रहें, कामयाब होने से आपको कोई रोक न पाएगा।’
-आईएएनएस