फाफामऊ विधानसभा पर जातिगत होगा जीत का आंकड़ा

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017, 2:05 PM (IST)

इलाहाबाद। फाफामऊ विधानसभा हमेशा से चर्चा में रही है। कई मंत्री देने वाली इस सीट पर हमेशा से जातिगत आंकड़े हार जीत तय करते रहे हैं । लेकिन कोई भी विधायक यहां लगातार दो चुनाव नहीं जीत सका है।

पूर्व में यह विधानसभा नवाबगंज के नाम से जानी जाती थी। लेकिन नये परिसीमन के बाद क्षेत्र का नाम फाफामऊ कर दिया गया है । इस सीट की एक और दिलचस्प बात यह है कि यहां प्रत्याशी पार्टी बदलने के मामले में सबसे आगे रहते हैं।

ये दिलचस्प है जाति का आंकड़ा


फाफामऊ विधानसभा में निर्दलीय उम्मीदवारों की दमदार मौजूदगी के बावजूद त्रिकोणीय लड़ाई की उम्मीद का निर्णय 351300 मतदाता करेंगे। विक्रमाजीत मौर्य भाजपा-अद गठबंधन के बाद भगवा दल की बड़ी उम्मीद है। लेकिन पिछले 17 सालों से राजनैतिक समीकरण को बदल रहे मनोज पाण्डेय इस बार बसपा की नैया पार लगाने के सबसे मजबूत दावेदार है। अभी तक के अनुमान में वह जातिगत समीकरण को अपनी तरफ मोड़ने में कामयाब रहे हैं । सही मायनों में बसपा ने पूर्व विधायक गुरू प्रसाद मौर्य का टिकट काट कर
मास्टर स्ट्रोक चला है। हालांकि मौजूदा विधायक अंसार को कहीं से नुकसान होता नहीं दिखा है।

यादव सर्वाधिक


आंकड़ों के मुताबिक इस सीट पर सबसे अधिक 62 हजार मतदाता यादव बिरादरी के हैं। दूसरे नंबर पर ब्राम्हण मतदाता हैं, सवर्ण जातियों के साथ इनकी संख्या 70 हजार तक है। जबकि दलित मतदाता 40 हजार, मुस्लिम मतदाता 30 हजार है। ओबीसी वर्ग में 28 हजार मौर्य, 40 हजार पटेल मतदाता भी यहां मौजूद है।

कौन है दमदार

फाफामऊ सीट में इस बार भी कई पुराने खिलाड़ी नये निशान पर जोर आजमाइश कर रहे हैं। चारो बड़े दलों ने जीत के लिये अपनी पूरी ताकत झोंक दी है । भाजपा ने यहां प्रभाशंकर पाण्डेय के माध्यम से एक बार खाता खोल था । इस बार भाजपा ने अपना दल से गठबंधन कर दलबदलू विक्रमाजीत मौर्य को उतारा है। जबकि बसपा ने पूर्व विधायक गुरू प्रसाद मौर्य का टिकट काटकर पिछले चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़े मनोज पाण्डेय को मैदान में उतारा है। दूसरी ओर अपना दल से जीत दर्ज कर राजनीति में चमके अंसार अहमद सपा के मौजूदा विधायक हैं और फिर से मैदान में हैं ।

प्रत्याशी की बात

बसपा से चुनाव लड़ रहे मनोज पांडेय बसपा के फिक्स वोट बैंक के साथ ही ब्राह्मण वोटों को पूरी तरह साथ लेकर चल रहे हैं । साथ ही जमीनी नेता होने के कारण व्यक्तिगत वोटों की बड़ी संख्या साथ है । सपा प्रत्याशी अंसार अहमद जातिगत आंकड़ों और अल्पसंख्यक वोटरों के भरोसे चुनाव में बने हुये हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि सपा-कांग्रेस गठबंधन के बाद वोटों का बंटवारा रुकेगा और जीत होगी।

भाजपा के प्रत्याशी विक्रमाजीत मौर्य सबका साथ-सबका विकास के साथ मतदाओं को अपने पक्ष में मतदान करने का गणित लगाने में जुटे हैं। लहर की बात अगर सच हुई तो यह भी प्रबल दावेदार होंगे ।

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