खास खबर Exclusive: हंडिया में दो दिग्गजों की साख दांव पर

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 22 फ़रवरी 2017, 5:23 PM (IST)

इलाहाबाद। हंडिया सीट पर डिंपल यादव ने आखिरी समय में सपा प्रत्याशी निधि यादव के चुनाव में जान फूंक दी। जो चुनाव अभी तक भाजपा-अद गठबंधन प्रत्याशी प्रमिला त्रिपाठी के पक्ष में नजर आ रहा था, अब उसमें ट्विस्ट आ गया है। वैसे भी इस सीट पर दो दिग्गजों की राजनैतिक साख दांव पर है ।
यूपी बोर्ड के सचिव रहे और मौजूदा समय में सपा एमएलसी वासुदेव यादव का कद सपा में कैबिनेट मंत्री स्तर का है और उनकी सपा में इस तरह चलती है कि बिना शोर शराबे अपनी बेटी के राजनैतिक कॅरिअर का आगाज कराने के लिये विधायकी का टिकट दिला दिया। वह भी विधायक प्रशान्त का टिकट काट कर। अब निधि की जीत के लिये वह एडी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।

त्रिपाठी की साख
दूसरी तरफ हंडिया को पहचान दिलाने वाले और इस सीट को किसी जागीर की तरह बार बार कब्जाने वाले पूर्व शिक्षा मंत्री राकेशधर त्रिपाठी की साख दांव पर है । खुद चुनाव न लड़कर पत्नी प्रमिला त्रिपाठी को मैदान में लेकर आना आसान नहीं था । प्रमिला के लिए यह राजनैतिक कैरियर का आगाज जरूर है लेकिन राकेशधर के लिये यह राजनैतिक कैरियर बचाने का आखिरी मौका। जेल से छूटकर आये राकेशधर चुनाव की पूरी कमान संभाले हुये हैं और एड़ी-चोटी का जोर लगा चुके हैं ।

[# ग्राउंड जीरो रिपोर्ट: सियासत के मैदान में अव्वल..विकास के नाम पर फिसड्डी !]

[# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]

महिला कार्ड 
इस सीट पर हमेशा से पुरूष प्रत्याशियों की तूती बोली है। लेकिन इस बार बड़े दलों ने गठबंधन कर महिला कार्ड चला है। इसके राजनैतिक फायदे भी हैं। चूंकि महिलाओं की बढती हिस्सेदारी व राजनैतिक दाग से दूर जनता के बीच लोकप्रिय बनाती हैं। निधि यादव की बात करें तो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में बतौर छात्र नेत्री पहचान बनाने वाली निधि लंदन तक राजनीति की छटा बिखरे चुकी हैं। उनकी लोकप्रियता प्रमिला के मुकाबले कहीं अधिक है। हालांकि  राकेशधर की साख इस पूरे इलाके में 30 साल से लगातार बढती ही जा रही है।  ऐसे में साफ सुथरी छवि की प्रमिला को फायदा होना माना जा रहा है।

जीता एमएलसी का चुनाव 
बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद हुये एमएलसी चुनाव में वासुदेव यादव ने भाजपा के रईश चन्द्र शुक्ल को हराकर अपने राजनैतिक कॅरिअर का बतौर चुनावी प्रत्याशी शानदार आगाज किया था और यहीं से ही इनकी इलाके में साख बतौर राजनीतिज्ञ स्थापित हुई । वहीं दूसरी ओर राकेशधर का ग्राफ इस मामले में बहुत आगे है। जिसके आगे वासुदेव टिकते नजर नहीं आते।


बाबा का चमत्कार या लोगों का अंधविश्वास!