कचरे के ढेर में हर रोज मिलती है मां की ममता

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 22 फ़रवरी 2017, 12:51 PM (IST)

बाड़मेर। पूरे नौ महीने जिसे अपने खून से सींचा और उम्मीद के पंख लगाए कि जब वो इस दुनिया में आकर परवाज भरेगी तो यह जहां कितना खुशनुमा होगा। मगर जिन हाथों में उसकी परवरिश का जिम्मा था उन्हीं ने उसे पैदा होते ही मरने को छोड़ दिया। बाड़मेर जिले में पिछले छह माह में ऐसे दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं जिसमें ममता निर्दयी नजर आई। कहीं कन्या होने का पता चलने पर उसे कोख में ही खत्म करा दिया गया, तो कहीं जन्म देते ही उसे जानवरों का निवाला बनने के लिए कचरे के ढेर या अन्य कहीं डाल दिया गया। सब ये दिलासा देते हैं कि अब समय बदल रहा है लोगों की सोच बदल रही है लेकिन फिर एकाएक कुछ ऐसा घट जाता है हम मजबूर हो जाते हैं की हम कहाँ बदल रहे हैं? कहां हमारी सोच बदल रही है। हम पत्रकार लोग हमेशा अपनी कलम से लिखते है कि इस जाति को भी जीने का हक है और वे आते ही अपने अधिकारों की मांग नहीं करने लगती हैं। वे बालक की तरह से ही जीवन जीती हैं , उन्हें संतान समझ कर जीवन दीजिये।

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