यूपी चुनाव : इलाहाबाद में सपा को पदुम तो मिले पर बसपा में फिसले शमी

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 15 फ़रवरी 2017, 8:33 PM (IST)

इलाहाबाद। मुस्लिम वोटों पर अपनी पकड़ के लिये चर्चित और तीन बार ब्लाक प्रमुख रहे राष्ट्रपति पुरस्कृत सपा नेता मो. शमी ने साइकिल का साथ छोड़ दिया है।

पार्टी में कम होते अपने कद से नाराज शमी ने ऐन चुनावी तारीखों के बीच यह फैसला लेकर सपा को न सिर्फ चौंका दिया है। बल्कि आश्चर्यजनक तरीके से सपा को पदुम के रूप में मिली व्यापारी वर्ग के वोटों की बढत को शमी ने मुस्लिम वोटों के माध्यम से खींच लिया है। सपा के लिये यह झटका इसलिये बड़ा है क्योंकि जिस सोरांव विधानसभा सीट को शमी प्रभावित करते हैं वहां गठबंधन में दरार के चलते पहले से ही सपा को काफी नुकसान हो चुका था। ऐसे में शमी का जाना मौजूदा विधायक सत्यवीर मुन्ना के लिये मुस्लिम वोटो को अपने पक्ष में मोड़ पाना कठिन हो जाएगा।

हाथी का बने सहारा

मो. शमी ने समाजवादी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देते हुये बसपा ज्वाइन कर ली हैं और अब बसपा प्रत्याशी गीता पासी के लिये सहारा बन चुके हैं। शमी के आने से मुस्लिम वोटों का एक बड़ा धड़ा अब सोरांव विधानसभा में बसपा के साथ होगा और निश्चित तौर पर मत की संख्या बढायेगा।

शमी के कई दावे

मो. समी ने सोरांव से गीता पासी के समर्थन में वोट की अपील करते हुये बसपा सरकार बनने का दावा किया। साथ ही मऊआइमा इलाके के प्रधान और बीडीसी सदस्यों के भी साथ होने की बात कही।

आंकड़ों में मुस्लिम हैं निर्णायक

यूं तो कुर्मी बाहुल्य सोरांव विधानसभा सीट पर एक एक वोट की अहमियत है। लेकिन यहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक की भूमिका आ करते हैं। इस बार भी सपा अथवा बसपा अपनी जीत की किस्मत इन वोटों से जोड़ कर देख रही है। पौने चार लाख मतदाता में मुस्लिम वोट दूसरे नंबर पर आते हैं। लगभग पचास से पचपन हजार के बीच मुस्लिम मतदाता हैं। लेकिन भाजपा को रोकने के लिये अधिकतम 40 हजार वोट पड़ने की उम्मीद की जा रही है। ऐसे में बसपा अथवा सपा के पक्ष में 25 से 30 हजार वोट पड़ते हैं तो जीत सुनिश्चित है। ऐसे में मुस्लिम वोटो को लुभाने के लिये शमी का आना बसपा के लिये फायदे मंद होगा ।

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