हाजीपुर। वैसे तो आपने चमगाद़डों को देखा होगा, लेकिन बिहार के वैशाली जिले के राजापाकर प्रखंड के सरसई (रामपुर रत्नाकर) गांव में चमगादडों की न केवल पूजा होती है, बल्कि लोग मानते हैं कि चमगाद़ड उनकी रक्षा भी करते हैं।
इन चमगादडों को देखने के लिए पर्यटकों की भी़ड लगी रहती है। यहां लोगों की मान्यता है कि चमगाद़ड समृद्धि की प्रतीक देवी लक्ष्मी के समान हैं।
सरसई गांव के एक बुजुर्ग गणेश सिंह का मानना है कि चमगाद़डों का जहां वास होता है, वहां कभी धन की कमी नहीं होती।
ये चमगाद़ड यहां कब से हैं, इसकी सही जानकारी किसी को भी नहीं है। सरसई पंचायत के सरपंच और प्रदेश सरपंच संघ के अध्यक्ष अमोद कुमार निराला आईएएनएस को बताते हैं कि गांव के एक प्राचीन तालाब (सरोवर) के पास लगे पीपल, सेमर तथा बथुआ के पे़डों पर ये चमगाद़ड बसेरा बना चुके हैं। उन्होंने बताया कि इस तालाब का निर्माण तिरहुत के राजा शिव सिंह ने वर्ष 1402 में करवाया था। करीब 50 एक़ड में फैले इस भूभाग में कई मंदिर भी स्थापित हैं।
उन्होंने बताया कि रात में गांव के बाहर किसी भी व्यक्ति के तालाब
के पास जानं के बाद ये चमगाद़ड चिल्लाने लगते हैं, जबकि गांव का कोई भी
व्यक्ति के जाने के बाद चमगाद़ड कुछ नहीं करते। उन्होंने दावा किया कि यहां
कुछ चमगाद़डों का वजन पांच किलोग्राम तक है।
सरसई पंचायत के मुखिया चंदन कुमार बताते हैं कि सरसई के पीपलों के पे़डों
पर अपना बसेरा बना चुके इन चमगादडों की संख्या में लगातार वृद्धि होती जा
रही है। गांव के लोग न केवल इनकी पूजा करते हैं, बल्कि इन चमगाद़डों की
सुरक्षा भी करते हैं।
यहां के ग्रामीणों का शुभ कार्य इन चमगाद़डों
की पूजा के बगैर पूरा नहीं माना जाता।
जनश्रुतियों के मुताबिक, मध्यकाल में वैशाली में महामारी फैली थी, जिस कारण
ब़डी संख्या में लोगों की जान गई थी। इसी दौरान ब़डी संख्या में यहां
चमगाद़ड आए और फिर ये यहीं के होकर रह गए। इसके बाद से यहां किसी प्रकार की
महामारी कभी नहीं आई।
स्थानीय आर$ एन. कॉलेज के प्रोफेसर एस$ पी$ श्रीवास्तव का कहना है कि
चमगाद़डों के शरीर से जो गंध निकलती है, वह उन विषाणुओं को नष्ट कर देती है
जो मनुष्य के शरीर के लिए नुकसानदेह माने जाते हैं। यहां के ग्रामीण इस
बात से खफा हैं कि चमगाद़डों को देखने के लिए यहां सैक़डों पर्यटक प्रतिदिन
आते हैं, लेकिन सरकार ने उनकी सुविधा के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।
सरपंच निराला बताते हैं कि इतनी ब़डी संख्या में चमगाद़डों का वास न केवल अभूतपूर्व है, बल्कि मनमोहक भी है, लेकिन यहां साफ -सफाई और सौंदर्यीकरण की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को पर्यटनस्थल के रूप में विकसित कराने के लिए पिछले 15 वर्षो से प्रयास किया जा रहा है, मगर अब तक स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि पूर्व पर्यटन मंत्री सुनील कुमार पिंटू और कला संस्कृति मंत्री विनय बिहारी ने इस क्षेत्र का दौरा भी किया था। निराला को आशा है कि वर्तमान समय में राजापाकर के विधायक शिवचंद्र राम कला एवं संस्कृति मंत्री बनाए गए हैं। शायद इस क्षेत्र का कायाकल्प हो जाए।