यूपी चुनाव: फिर आड़े आया आयोग का नियम, सुरेंद्र से न कमल छिना न नाम

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 13 फ़रवरी 2017, 2:22 PM (IST)

अमरीष मनीष शुक्ला, इलाहाबाद। इलाहाबाद की सोरांव विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी सुरेन्द्र चौधरी की उम्मीदवारी वापस लेने की घोषणा के बाद भी भाजपा की परेशानी कम नहीं हुई है। चुनाव आयोग के नियम ने भाजपा के न चाहने पर भी सुरेन्द्र को प्रत्याशी बनाये रखा है। भाजपा अपनी लिस्ट अब सुरेन्द्र को भले ही साफ कर चुकी हो लेकिन आयोग ने न तो सुरेन्द्र का नाम काटा है और न ही चुनाव चिन्ह कमल का फूल हटाया है।
ऐसे में कमल के निशान पर वोट पड़ना तय माना जा रहा है। जिससे गठबंधन प्रत्याशी जमुना प्रसाद सरोज को निश्चित तौर पर नुकसान होगा। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या सुरेंद्र चौधरी अपने लिये अथवा कमल के लिये प्रचार प्रसार करेंगे य अपना दल के लिये।

दो दिन से गर्म है शियासत
इलाहाबाद के सोरांव में शनिवार को अद-भाजपा प्रत्याशियों के बीच बवाल के बाद से शियासत गर्म है। भाजपा ने अपने प्रत्याशी को बैक किया तो उम्मीद की जा रही है कि हालात सुधरेंगे। लेकिन सुरेन्द्र के लिये आयोजित भाजपा कार्यकर्ता सम्मेलन में पहुंची भीड़ कुछ और ही कहानी की ओर इशारा कर रही थी। हालांकि कल ही शहर उत्तरी के लिये हर्षवर्धन की भी कार्यकर्ता सम्मेलन बैठक थी। जिसके चलते संगठन के बड़े नेता नहीं आये। इससे पूरा रूख साफ नहीं हो सका।

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बने रहेंगे प्रत्याशी
पार्टी के ऑथॉरिटी लेटर पर ही सुरेन्द्र प्रत्याशी बने थे। उन्होंने आयोग को बकायदा फार्म ए व बी उपलब्धकराय था। उसी आधार पर बतौर भाजपा प्रत्याशी उन्होंने नामांकन किया। आयोग ने नियम के तहतभाजपा का चुनाव चिन्ह कमल का फूल सुरेन्द्र को आवंटित किया । ऐसे में जब सबकुछ नियम से ही हुआहै तो भला नियमों को तोड़कर आयोग सुरेन्द्र का नाम हटा भी कैसे सकता है। आयोग ने स्पष्ट कर दियाहै कि उम्मीदवारी देना वापस लेना यह पार्टी की अंदरूनी व निजी बातें हैं। इसमें आयोग हस्तक्षेप नहींकरेगा । चिन्ह आवंटन के बाद नियमतः सुरेन्द्र चौधरी सोरांव विधानसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी बनेरहेंगे। ईवीएम मशीन पर यह चिन्ह व नाम मौजूद रहेगा।

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माना जा रहा हैं कि पार्टी के आदेश के बाद भी कमल के निशान पर कुछ न कुछ वोट तो पड़ेंगे ही। जिसकानुकसान गठबंधन को उठाना पड़ेगा।

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