आमिर का मुकाबला नहीं कर सकते सलमान, 500 करोड दूर की बात

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 13 फ़रवरी 2017, 1:36 PM (IST)

हाल ही में मीडिया में सलमान की अगली फिल्म को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। हालांकि अभी उनके पास एक था टाइगर का सीक्वल है, जिसकी शूटिंग भी मार्च-अप्रैल में शुरू होने की बात की जा रही है, लेकिन इसके साथ ही उनके एक और फिल्म साइन करने के बारे में कहा जा रहा है। यह कोरियन ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘ओड टू माय फादर’ का रीमेक बताई जा रही है। सीजे एंटरटेनमेंट ने इस फिल्म के रीमेक अधिकार सलमान खान के बहनोई फिल्म निर्माता अभिनेता अतुल अग्निहोत्री को दिए हैं। इस फिल्म को अली अब्बास जफर निर्देशित करेंगे, जो इससे पहले सलमान खान को सुल्तान और अब टाइगर जिंदा है में निर्देशित करने जा रहे हैं।
फिल्म की कहानी भारत पाकिस्तान के बंटवारे के प्लाट पर बुनी जाएगी। फिल्म में सलमान एक गंभीर किरदार में नजर आने वाले हैं, इससे पहले बजरंगी भाईजान में भी गंभीर किरदार निभा चुके हैं। फिल्म एक ऐसे आदमी की कहानी होगी जो बचपन में विभाजन का दर्द झेलता है पर अपने परिवार का दु:ख सुख में ध्यान रखने का वादा करता है। इस काम को पूरा करने के में उसे 60 साल लग जाते हैं और 60 साल में कितना कुछ बदल जाता है, यही फिल्म का मूल होगा।


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इस फिल्म की सफलता को लेकर अभी से कयास लगाने शुरू कर दिए गए हैं। मीडिया में कुछ ऐसी खबरें आ रही हैं जिनमें कहा जा रहा है कि सलमान की यह रीमेक बॉक्स ऑफिस पर 500 करोड का कारोबार करने में सफल होगी। हिन्दी सिनेमा में अभी ऐसा कोई अदाकार नहीं आया जो अपने बलबूते पर फिल्म के कारोबार को 500 करोड के पार ले जा सके। आमिर खान ऐसे एक मात्र सितारे रहे हैं जिनकी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड्स का सिलसिला शुरू किया था। गजनी (100 करोड) से शुरू हुआ यह सिलसिला दंगल (390 करोड) तक जा पहुंचा, वहीं सलमान खान अभी तक सिर्फ 300 करोड तक पहुंच पाए हैं। आमिर की अभिनय क्षमता के सामने सलमान खान कमजोर ही नजर आते हैं। दर्शकों में भी सलमान खान से ज्यादा आमिर खान का क्रेज रहता है।


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वैसे आमिर में भी इतनी क्षमता नहीं है कि वे अपनी किसी फिल्म को भारतीय बॉक्स ऑफिस पर 500 करोड तक ले जा सकें। जिस तरह की भूमिका सलमान खान द्वारा इस फिल्म में निभाने की बात की जा रही है उसे सुनने के बाद ऐसा लगता है दर्शक शायद ही सलमान को इस किरदार में पसंद करें। इसका सबसे बडा कारण यह है कि सलमान खान के चेहरे पर वो गंभीरता नजर नहीं आती है जो इस तरह के किरदारों के लिए आवश्यक है, वहीं उनकी आँखों से भी वो भाव और सोच प्रकट नहीं होता जो इसके लिए जरूरी है।

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अली अब्बास जफर अच्छे निर्देशक हैं लेकिन इतने कुशल भी नहीं है जो सलमान खान से इतना उम्दा अभिनय करवाने में सफल हो जैसा मूल फिल्म के अभिनेता ह्वांग जुंग मिन ने किया है। सामान्य आदमी की असाधारण यात्रा पर आधारित यह कहानी भावनात्मक रिश्तों को जिस तीव्रता के साथ पेश करती है यह अपने आप में अविस्मरणीय है। इस किरदार के लिए भावनाओं का जो ज्वार चेहरे पर चाहिए, हमारी सोच उसके लिए सलमान खान को उपयुक्त नहीं पाती है। वैसे यह अच्छी बात है कि सलमान खान अपने करियर को नई राह पर डाल रहे हैं। अब तक दर्शकों को अपनी हंसी मजाक और रोचक एक्शन दृश्यों से प्रभावित करने वाला यह अभिनता स्वयं को आम नायकों की श्रेणी से अलग करने का प्रयास कर रहा है यह तारीफ-ए- काबिल है। उनका यह रूप शत-प्रतिशत दर्शकों को पसन्द आए यह नहीं कहा जा सकता लेकिन गंभीर और सार्थक सिनेमा देखने वाला दर्शक जरूर उन्हें पसन्द करेंगे इसमें किसी प्रकार के शक की गुंजाइश नजर नहीं आती है।

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