असगर नकी अमेठी। यूपी में इन दिनों चुनावी समर है। सत्ताधारी दल के नेता पूरे सूबे में विकास कार्यों की गंगा बहा देने की बखान कर रहे हैं। उधर सपा से अलांयस कर दो जिस्म एक जान बनी कांग्रेस यूपी फस्ट और सेकेंड के विकास का हवाला दे रही है। पर दोनों ही के विकास की सच्चाई का अंदाजा लगाना हो तो गांधी-नेहरु परिवार के गढ़ इस जिले के जगदीशपुर विधानसभा के ब्लाक शुकुल बाज़ार तक चले आए तो दोनों पार्टियों की यहां कलई खुल जाएगी। फिलवक्त बानगी के तौर पर यहां के एक दर्जन से अधिक ऐसी पंचायते हैं जहां शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए सरकार के लाखों रुपए ख़र्च करने के बावजूद लोगों की प्यास नहीं बुझ सकी।10 वर्षो से नहीं बुझ रही प्यास
जनपद में लाखो व्यय के बावजूद लोगों की प्यास नहीं बुझ पा रही है। अमेठी के विकास खंड शुकुल बाजार में जल निगम द्वारा 1985 में स्थापित पानी की टंकी जो करीब 1000 किलोलीटर पानी क्षमता रखने में सक्षम और लगभग 25 किलोमीटर के रेंज में स्वच्छ पेय जलापूर्ति के लिए जल मीनार निर्माण कराया गया था। साथ ही आसपास के मोहल्लों व घरों में कनेक्शन भी दिया गया था। ग्रामीण बताते है कि कुछ वर्षो तक तो जलापूर्ति की गयी लेकिन करीब 10 वर्षो से हमारे घरों तक पानी नहीं पहुंचा फिर सब कुछ भूला दिया गया। हम लोग आज भी आर्सेनिक युक्त पानी पीने को विवश हैं। शिकायत करने पर विभागीय अधिकारी कोई न कोई बहाना बना पल्ला झाड़ लेते हैं स्थिति यह है कि जगह-जगह पाइप भी फट गया है इससे लोगों में काफी आक्रोश है।
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अमेठी में असफल हुई स्वच्छ जल आपूर्ति योज़ना
लोगों की सुविधाओं के लिए सरकार योजनाएं तो बनाती हैं, लेकिन उनकी सही ढंग से निगरानी नहीं होने से योजनाओं का लाभ जहां पहुंचना चाहिए, वहां नहीं पहुंच पाता. इन्हीं योजनाओं में से एक है स्व जलधारा योजना सरकार द्वारा प्रायोजित इस योजना का मुख्य लक्ष्य ग्रामीण व कसबाई इलाकों में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति करना है. विशेष रूप से वैसे क्षेत्र जहां पानी के ऊपरी स्तर में आर्सेनिक, क्लोराइड व फ्लोराइड की मात्र अधिक है इस योजना में डीप बोरिंग द्वारा पानी टंकी में पानी जमा कर पाइप लाइन द्वारा जलापूर्ति करनी है, पर यह अमेठी के शुकुल बाज़ार में तो स्वच्छ पेय जल जैसी योजनाए आज पूरी तरह असफल हो रही है ।
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जनप्रतिनिधि नही लेते इंटरेस्ट तो अधिकारी करते हैं रेस्ट
शुकुल बाजार में कहने के लिए तो जल निगम में जेई, आपरेटर,ब्रेक लाइन चेक करने के लिए गाड़ी के साथ इंजनीयर, वाहन चालक और विभाग सम्बन्धित सभी कर्मचारी तैनात हैं लेकिन यहाँ तो विभागीय अधिकारी और कर्मचारी पूरी तरह आराम फरमाने में जुटे हैं जिससे विभिन्न पेयजल समूहों के माध्यम से क्षेत्र के आधे से अधिक गांवों में होने वाले शुद्ध पेयजलापूर्ति बाधित हो रही है। जनप्रतिनिधियों द्वारा भी इसमें कोई रुचि नहीं ली जा रही है। क्षेत्रवासियो ने जिला प्रशासन व विभागीय पदाधिकारियों की उदासीनता पर नाराजगी जतायी है। लोगों ने तत्काल इस दिशा में कारगर कदम उठाने की मांग की है।
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