सरकारी स्कूलों में डिजिटल शिक्षा के नाम पर ठेगा, शिक्षा में नाम पर बच्चो के साथ खिलवाड़

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2017, 1:37 PM (IST)

गुरुग्राम। आये दिन भाजपा सरकार बेशक प्रदेश को डिजिटल बनाने के लाख दावे कर रही हो, मगर हकीकत से ये बात आस पास भी नजर नहीं आती। सरकारी स्कूलों में चल रही अनिवार्य कंप्यूटर शिक्षा को ही लीजिये, जहां पढऩे वाले तो लाखों बच्चे हैं, लेकिन कंप्यूटर ज्ञान देने वाला कोई शिक्षक नहीं। इतना ही नहीं शिक्षा विभाग की फाइलों में प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में ना केवल कंप्यूटर का ज्ञान दिया जाता है, बल्कि इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (आईसीटी) कंप्यूटर शिक्षा को एक अनिवार्य विषय मानते हुए सप्ताह में हर कक्षा के लिए कम से कम 6 पीरियड निर्धारित किये गए हैं। लेकिन स्कूलों की वास्तविकता बताती है इस पूर्ण शैक्षिणक सत्र से अभी तक कोई भी कंप्यूटर शिक्षक किसी भी स्कूल में कार्यरत नहीं है।

गौरतलब है सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा के लिए वर्ष 2013 में शिक्षा विभाग द्वारा कुल 2600 कंप्यूटर टीचर्स की नियुक्ति की गयी थी। लेकिन वर्तमान सरकार ने इन शिक्षकों का अनुबंध पिछले वर्ष मार्च माह में समाप्त कर इनकी जगह नए शिक्षकों की भर्ती के लिए आवेदन मांग लिए। इससे पहले की भर्ती पूरी होती, पूर्व से कार्य कर रहे कंप्यूटर टीचर्स ने नई भर्ती को हाई कोर्ट ने चुनौती दे दी। जिस पर न्यायलय ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी। इसके साथ ही मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को जवाब तलब किया।

मामले को फंसता देख शिक्षा विभाग के वितायुक्त पी के दास ने भी हाथ खड़े कर दिए, और मामले को सरकार के उच्च अधिकारियों को भेज दिया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मामले को गंभीरता से लेते हुए 18 जनवरी को कंप्यूटर शिक्षक संघ और विभाग के आला अधिकारियों के साथ बैठक की और हटाये गए टीचर्स को वापस लेने का फैसला लिया गया। वहीं तीन फरवरी को शिक्षा विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर प्रवीन सांगवान की तरफ से हाई कोर्ट में हटाये गए कंप्यूटर टीचर्स को वापस लेने का हलफनामा दायर किया। जिसमे हाई कोर्ट ने जल्द से जल्द शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश देते हुए केस का अंतिम फैसला सुनाया।

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किस्तों में मिल रही बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा
हालांकि उच्च न्यायलय की तरफ से कंप्यूटर टीचर्स को कुछ राहत तो मिली है, लेकिन इन शिक्षकों की डगर आसान नहीं होगी। अभी सरकार की तरफ से शिक्षकों को केवल 31 मई तक की ही राहत दी गई है। सरकार द्वारा 3336 पदों पर चल रही भर्ती किस प्रकार पूरी होगी अभी तक इस बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है। इस प्रकार सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे करीब 6 लाख गरीब बच्चों को कई वर्षों से किस्तों में ही कंप्यूटर का ज्ञान मिल रहा है। ना बच्चों के कंप्यूटर की परीक्षा हो पाती है और ना ही कंप्यूटर के दर्शन। हालांकि लगभग 2600 कंप्यूटर टीचर्स को तीन महीने की राहत तो जरुर मिली है। लेकिन इन टीचर्स की भविष्य की डगर इतनी आसान नहीं होगी। टीचर्स को इसी बात का डर सता रहा 31 मई के बाद नौकरी का क्या होगा।

करोड़ों के उपकरण हो रहे स्वाहा
सरकार और शिक्षकों की आपसी कानूनी लड़ाई में प्रदेश के भविष्य का नुकसान हो रहा है। प्रदेश भर में करीब 3100 स्कूलों में आई सी टी के तहत कंप्यूटर शिक्षा के लिए करोड़ों रुपये की लागत से कंप्यूटर लैब बनाई गई है। लेकिन एक वर्ष से इन लैब को कोई भी संभालने वाला नहीं है। नतीजा हर स्कूल में लाखों रुपये के कंप्यूटर के साथ-साथ महंगे उपकरण भी धुल फांक रहे हैं। ज्यादातर स्कूलों की लैब पर हमेशा ताले ही लटकते पाए जाते हैं।

संघ के प्रदेश प्रेस प्रवक्ता सुरेश नैन ने बताया कि सरकार भले ही कुछ समय के लिए नियुक्ति दे। लेकिन हाई कोर्ट ने भर्ती को सही ठहराया है, हमारी मुख्य मांग है सरकार पहले से कार्य कर रहे 2600 टीचर्स को नई भर्ती में नियुक्ति दे। क्योंकि सभी टीचर्स भर्ती की सभी शर्तों को पूरा करते है और रिक्त पदों पर सरकार भर्ती करे। संघ के प्रधान बलराम धीमान ने कहा कि सरकार और माननीय उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते है और उम्मीद करते है प्रदेश सरकार हमारे भविष्य को लेकर कोई स्थाई समाधान करे।

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