कोटा। जिला कलेक्टर की जनसुनवाई इन दिनों खानापूर्ति बनी हुई है। जनसुनवाई में अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आ रहे पीडि़तों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है। न जिला कलेक्टर उनकी बात सुन रहे हैं और न ही जिला प्रशासन का कोई अधिकारी। ऐसे में हर बार जनसुनवाई के नाम पर पीडि़तों के सामने दिखावा किया जा रहा है। जिला प्रशासन और कोटा जिला कलेक्टर के उदासीन रवैये का खमियाजा पीडि़तों को भुगतना पड़ रहा है।
हर बार की तरह इस बार भी गुरुवार को जिला कलेक्ट्रेट परिसर में जिला कलेक्टर ने जनसुनवाई की। इसमें कई लोग अपनी समस्याएं लेकर पहुंचे। ऐसे में कोई पीडि़त अपनी जमीन को भूमाफियाओं से छुड़वाने की मांग कर रहा था, कोई लापता हुए अपने भाई की तलाश के लिए पुलिस की सुस्ती की शिकायत के लिए जिला कलेक्टर के सामने गुहार लगा रहा था, लेकिन किसी भी पीडि़त की समस्या का कोई समाधान नहीं हो पाया।
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पीड़ितों का कहना है कि जनसुनवाई में गरीब तबके के लोग आते हैं, जबकि अमीर
लोग फोन पर ही सारा काम करवा लेते हैं। ऐसे में जिला प्रशासन भी अमीरों की
सुन रहा है।