माघी पूर्णिमा, करें माँ लक्ष्मी की पूजा, यह चढाने से होगी पैसों की बरसात

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2017, 10:33 AM (IST)

आज 10 फरवरी को माघी पूर्णिमा है। हिंदू धर्म में माघ महीने का बहुत ही खास महत्व होता है। पौराणिक मान्यता है कि इस मास का हर दिन पवित्र होता है। लेकिन पूर्णिमा का महात्मय सबसे श्रेष्ठ माना गया है। माघ मास की पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा भी कहा जाता है । हिंदू पंचाग के अनुसार पूर्णिमा चंद्र मास का अंतिम दिन होता है। मघा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होने के कारण ही इस मास को माघ मास कहा जाता है। 10 फरवरी को माघी पूर्णिमा पर जमकर दान करें क्योंकि यह दान आपके जीवन में न केवल सुख-समृद्धि लाएगा बल्कि इससे सभी पाप भी नाश होंगे।
माघी पूर्णिमा को 10 फरवरी शुक्रवार को है। ज्योतिषियों के अनुसार इस पूजा को करने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है। पद्म पुराण के अनुसार पूर्णिमा तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से पूरे साल के पुण्य का लाभ मिलता है। इस दिन वस्त्र, अन्न, तिल, गुड, मूंगफली और इससे बने नैवेद्य का दान किया जाता है। इस दिन आंशिक चंद्र ग्रहण भी लग रहा है लेकिन इसका प्रभाव विश्व में कहीं भी नहीं पडेगा। पूर्णिमा तिथि 10 फरवरी की सुबह 6.51 लगी जो अगले दिन सुबह 5.50 तक रहेगी। सौभाग्य योग नौ फरवरी की देर रात 2.49 बजे से दस फरवरी की मध्यरात्रि 12.33 बजे तक रहेगा। ऐसे में सौभाग्य योग में स्नान और दान कई गुणा फल प्रदाता है। इस दिन सुबह 7.15 तक पुष्य नक्षत्र और इसके बाद आश्लेषा नक्षत्र लग रहा है। कहा जाता है कि इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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माघ मास की पूर्णिमा को मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए बह्म मुहूर्त में स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस दिन शाम को मां लक्ष्मी की पूजा करें और शाम को खीर बनाकर मां लक्ष्मी को भोग लगाएं। कहते हैं इस दिन रात को घर के मुख्य दरवाजे पर दीपक जलाना चाहिए। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर घर में आगमन कती हैं। इसके अलावा इस दिन पीपल के पेड की पूजा करनी चाहिए। पीपल के पेड पर दीपक जलाकर मिष्ठानों का भोग लगाना चाहिए और जल चढाना चाहिए।

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क्या है इस दिन का महत्व

माघी पूर्णिमा स्नान का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है। मान्यता है कि सभी देवता माघ मास में गंगा स्नान के लिये पृथ्वी पर आते हैं। मानव रूप में वे पूरे मास भजन-कीर्तन करते हैं और यह देवताओं के स्नान का अंतिम दिन होता है। यही कारण है कि कल्पवास को बहुत ईष्टकारी माना गया है। एक मान्यता यह भी है कि द्वापर युग में दानवीर कर्ण को माता कुंती ने माघी पूर्णिमा के दिन ही जन्म दिया था। इसी दिन कुंती ने उन्हें नदी में प्रवाहित किया था। इस दिन गंगा, यमुना सहित अन्य धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नान करने से दैहिक, दैविक, भौतिक आदि सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। वैसे तो धार्मिक ग्रंथों में पूरे महीने स्नान करने का महत्व बताया गया है लेकिन यदि कोई पूरे मास स्नान नहीं भी कर पाता है तो माघी पूर्णिमा से लेकर फाल्गुनी दूज तक स्नान करने से पूरे माघ मास स्नान करने के समान ही पुण्य की प्राप्ति की जा सकती है।

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माघ पूर्णिमा की पूजा में भगवान विष्णु की पूजा जाती है। पूजा के लिये सामग्री के तौर पर केले के पत्ते, फल, पंचामृत, पान-सुपारी, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा आदि का उपयोग किया जाता है। किसी विद्वान ब्राह्मण से भगवान सत्यनारायण की कथा करवाना भी इस दिन शुभ रहता है।

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शास्त्रों में माघ स्नान एवं व्रत का विशेष महत्व है। माघ की प्रत्येक तिथि पुण्यपर्व है उनमें भी माघी पूर्णिमा को विशेष महत्व दिया गया है। माघ मास की पूर्णिमा तीर्थस्थलों में स्नान दानादि के लिए काफी फलदायी बताई गई है। माघी पूर्णिमा के दिन आप मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के विशेष उपाय कर सकते है। इस पूर्णिमा की रात लगभग 12 बजे महालक्ष्मी की भगवान विष्णु के साथ पूजा करें व रात को घर के मुख्य दरवाजे पर घी का दीपक लगाएं। माघी पूर्णिमा की सुबह पास के किसी लक्ष्मी मंदिर में जाएं और 11 गुलाब के फूल अर्पित करें। इससे माता लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहेगी। माघी पूर्णिमा की सुबह माता सरस्वती की भी पूजा की जाती है। इस दिन माता सरस्वती को सफेद फूल चढाएं व खीर का भोग लगाएं। इन सभी उपायों से मां जल्दी प्रसन्न होती है और आपको विशेष कृपा मिलेगी।

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