नई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार को महात्मा गांधी की हत्या के संबंध में आरएसएस पर की गई अपनी टिप्पणियों को लेकर मानहानि के एक मामले में भिवंडी की एक अदालत में पेश हुए।
यहां सोमवार को कहा कि वह उस विचारधारा
से लड रहे हैं, जिसने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या की। उनकी लड़ाई
उनसे है, जिन्होंने गांधी को मारा, गांधी को कैलेंडर से हटाया। राहुल
ने कहा कि गांधी की हत्या कर दी गई, लेकिन उनके विचारों और सिद्धांतों को
मिटाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि गांधी जी हर हिन्दुस्तानी के दिल में है, उन्हें कभी मिटाया नहीं जा सकता। इस मामले की सुनवाई 3 मार्च तक टल गई है।
राहुल ने सोमवार सुबह एक ट्वीट कर कहा, ‘गोवा रवाना होने ने से पहले आज सुबह भिवंडी जाऊंगा।’ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक कार्यकर्ता राजेश कुंटे ने भिवंडी में 6 मार्च 2014 को दिए राहुल के भाषण को लेकर उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। कांग्रेस की रैली के दौरान राहुल ने कथित तौर पर कहा था, ‘गांधी की हत्या आरएसएस के लोगों ने की थी।’
इससे पहले इस मामले की सुनवाई 16 नवंबर, 2016 को हुई थी। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने राहुल गांधी को जमानत दे दी थी। राहुल की अदालत में दूसरी पेशी महात्मा गांधी बलिदान दिवस पर हुई।
आरएसएस के पूर्व सदस्य नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली में
राष्ट्रपिता के सीने पर तीन गोलियां दाग दी थीं। महात्मा गांधी उस समय
बिड़ला भवन में होने वाली प्रार्थना सभा में जा रहे थे। झाड़ियों में छिपे
गोडसे ने नजदीक आकर गांधी को पहले प्रणाम किया, उसके बाद उनके सीने पर
गोलियां चला दीं। लहूलुहान गांधी के मुंह से हे राम शब्द निकला और उनका
शरीर हमेशा के लिए शांत हो गया। इस तरह आजाद भारत में अहिंसा के पुजारी का हिंसा से अंत कर दिया गया।
गोडसे
ने जिन दिनों गांधी की हत्या की, उस समय वह आरएसएस का सदस्य नहीं, बल्कि
अखिल भारतीय हिंदू महासभा का सदस्य था। वह वर्षो पहले आरएसएस छोड़ चुका था,
लेकिन समान विचारधारा वाले संगठन से जुड़ा था।
गांधी की हत्या के समय गोडसे आरएसएस का सदस्य नहीं था...
केंद्र में
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का मार्गदर्शक संगठन यह मानने को
तैयार नहीं है कि गांधी की हत्या आरएसएस ने करवाई, क्योंकि उसके पास सबूत
है कि गांधी की हत्या के समय गोडसे आरएसएस का सदस्य नहीं था। महाराष्ट्र
के पुणे जिले के बारामती में 19 मई, 1910 को जन्मे नाथूराम गोडसे की
हिंदूवादी विचारधारा थी। उसने अगणी और हिंदू राष्ट्र नामक समाचारपत्रों
का संपादन किया था।
अंबाला की जेल में 15 नवंबर, 1949 को गोडसे को
फांसी दे दी गई। उस समय वह मात्र 39 वर्ष का था। उसकी विचारधारा को मानने
वाले भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने दो साल पहले संसद भवन के आगे मीडिया के
सामने कहा था कि गोडसे हमारे लिए पूजनीय हैं, अगर कहीं उनकी पूजा होती है
या प्रतिमा स्थापित की जाती है तो इसमें हर्ज क्या है। उनके इस बयान की
तीखी आलोचना हुई थी, पार्टी नेतृत्व ने उन्हें नोटिस दिया था। इसके बाद संत
वेशधारी सांसद ने कहा था, मैंने ऐसा नहीं कहा था।
(IANS)