यूपी चुनाव: लखनऊ उत्तर विस सीट, नए वोटर तय करेंगे प्रत्याशियों का भाग्य

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 30 जनवरी 2017, 2:10 PM (IST)

अभिषेक मिश्रा, लखनऊ। नये परिसीमन के बाद पांच वर्ष पूर्व पूरी तरह अस्तित्व में आई लखनऊ उत्तर सीट का बड़ा हिस्सा पहले लखनऊ पश्चिम क्षेत्र में आता था, जहां लम्बे अरसे तक भाजपा का दबबदा रहा था। वर्ष 2012 में लखनऊ उत्तर क्षेत्र का पहला चुनाव हुआ और जातीय समीकरण के साथ ही पार्टी की लहर के चलते समाजवादी पार्टी ने यहां अपना परचम फहराने का इतिहास रच जीत का खाता भी खोला।

सपा के युवा उम्मीदवार व पार्टी के युवराज अखिलेश यादव के करीबी होने का फायदा प्रो. अभिषेक मिश्र को मिला और वह चुनावी बाजी जीतने में कामयाब रहे। कम समय में ही क्षेत्र की जनता के बीच अपनी पैठ बनाकर प्रो. अभिषेक मिश्र ने इस सीट से जीत का खाता खोलकर भाजपा का गढ़ माने जाने वाले क्षेत्रों में वह कर दिखाया जो राजनीति के रणनीतिकार भी आसान नहीं मान रहे थे। भाजपा के परम्परागत क्षेत्रों के मतदाताओं का जादू यहां 2012 के चुनाव में नहीं चल सका और पार्टी तीसरे स्थान पर खिसक गयी।


चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे डा. नीरज बोरा को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ और वह सपा के प्रो. अभिषेक मिश्र से 2,219 मतों से हार जाने पर जीत से वंचित रहे। भाजपा के प्रत्याशी आशुतोष टण्डन ‘‘गोपाल’ जी को 45,245 मत मिले जिससे उनको तीसरे स्थान से ही संतोष करना पडा था। इस बार उत्तर विधानसभा क्षेत्र का दूसरा चुनाव है और मतदाताओं को बीते पांच वर्ष के तमाम खट्टे-मीठे अनुभव भी हैं। सीट पर अपना कब्जा होने के नाते सपा ने अपने सीटिंग विधायक व सरकार में मंत्री प्रो. अभिषेक मिश्र को एक बार फिर मैदान में उतार कर अपना दबदबा बरकार रखने की रणनीति बनायी है। समाजवादी पार्टी व कांग्रेस के बीच चुनावी गठबंधन हैं। ऐसे में रणनीतिकारों की माने तो यदि सपा प्रत्याशी को पार्टी के साथ ही कांग्रेस समर्थक मतदाताओं का समर्थन मिला तो कोई भी समाजवादी पार्टी को जीत से वंचित नहीं रख सकता। पार्टी कार्यकर्ता भी मुस्लिम के साथ हिन्दू बाहुल्य क्षेत्रों में प्रत्याशी प्रो.अभिषेक मिश्र के साथ घर-घर दस्तक दे रहे हैं।


दूसरी ओर लखनऊ उत्तर में शामिल अपने पुराने व परम्परागत क्षेत्रों के बूते भारतीय जनता पार्टी ने भी इस चुनाव में यह सीट अपने पाले में लाने की ठान ली है। इसी वजह से पार्टी ने कांग्रेस छोडकर बीते लोकसभा चुनाव (2014) में भाजपा में शामिल हुए डा. नीरज बोरा पर बाजी लगाते हुए यहां से जीत का खाता खोलने का दावा करना शुरू कर दिया है। डा. नीरज बोरा चूंकि पूर्व में भी बसपा के बाद कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में इन्हीं इलाकों के मतदाताओं के बीच जाकर अपनी पैठ बनाते रहे हैं ऐसे में भाजपा ने उन्हीं पर दांव लगाना फायदे का सौदा माना है।
पिता स्वर्गीय डीपी बोरा के लम्बे राजनीतिक पृष्ठभूमि व लोकप्रियता का फायदा भी डा. नीरज को मिलना तय है।

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यहीं नहीं बीते चुनाव में मामूली मतों से शिकस्त मिलने के चलते भाजपा के स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ समर्थक माने जाने वाले मतदाता भी इस बार कोई कोर कसर बाकी नहीं रखना चाहता है। उनका प्रयास है कि इस चुनाव में यह सीट पार्टी की झोली में आ सके इसके लिए वह कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहते।

उधर बसपा ने इस सीट पर कब्जा करने के लिए पहले ही प्रत्याशी का ऐलान कर दिया था। बसपा से अजय श्रीवास्तव प्रत्याशी हैं। माना जा रहा है कि उन्हें बसपा का वोट मिलने के साथ ही कायस्थ समाज का भी खासा समर्थन मिलेगा। अजय श्रीवास्तव पूर्व में कांग्रेस में भी रह चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि उन्हें कांग्रेस के मतदाताओं का भी समर्थन प्राप्त होगा।

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2012 में सपा के प्रत्याशियों को मिले वोट
अभिषेक मिश्र (विजयी) सपा 47,580डा. नीरज बोरा कांग्रेस 45,361आशुतोष टण्डन ‘‘गोपाल जी’ भाजपा 45,245अरुन द्विवेदी बसपा 22,902दिनेश कुमार श्रीवास्तव पीईसीपी 2,215चन्द्र प्रकाश अवस्थी एनसीपी 984

मतदाता... वर्ष 2017
कुल मतदाता 3,98,928पुरुष मतदाता 2,16,048महिला मतदाता 1,82,865

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