मुंबई। देश के सबसे बड और धनी निकाय बृहन्मुंबई महानगर पालिका के चुनाव में
कांग्रेस और एनसीपी पहले ही संकेत दे चुके हैं कि बीएमसी चुनाव के लिए
समझौता नहीं होगा और अब शिवसेना ने भी बीजेपी के साथ गठबंधन न करने का
फैसला किया है।
याद रहे,राज्य की सत्ता में गठबंधन चला रहे दोनों दलों के बीच पिछले कुछ
दिनों से बीएमसी चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर तनातनी चल रही थी।
शिवसेना के चीफ के इस आशय के बयान को राज्य सरकार में गठबंधन खत्म होने का
भी संकेत माना जा रहा है। प्रदेश में मुंबई सहित 10 म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन
में 21 फरवरी को चुनाव होने वाला है, जिसके नतीजे 23 फरवरी को आएंगे।
गुरूवार को गोरेगांव में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए शिवसेना
सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने बीएमसी चुनाव में अकेले उतरने का ऎलान किया। यही
नहीं उद्धव ने बीएमसी चुनावों में बीजेपी को देख लेने की भी चुनौती दी।
उद्धव ने बीजेपी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा, शिवसेना के 50 साल के इतिहास
में गठबंधन के चलते 25 साल बर्बाद हुए हैं। हम सत्ता के लालची नहीं हैं।
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बीजेपी पर गुंडागर्दी के आरोप...
उद्धव ने बीजेपी पर गुंडागर्दी के आरोप लगाते हुए कहा,बीजेपी के पास हमारे
सैनिकों से लडने की चुनौती नहीं है। इसलिए उन्होंने गुंडों को हायर कर लिया
है। हमें बीएमसी चुनाव की परवाह नहीं है, हम सभी सीटों पर जीत हासिल
करेंगे। लडाई अब शुरू हो चुकी है। उद्धव ने कहा कि शिवसेना अब आगे अकेले दम
पर भगवा लहराएगी और किसी के दरवाजे पर गठबंधन के लिए नहीं जाएगी।
बीएमसी की 227 सीटों में से बीजेपी 114 यानी करीब आधी सीटों पर दावा कर रही
थी, जबकि शिवसेना ने उसे महज 60 सीटों की ही पेशकश की थी। सीटों को लेकर
बात न बनने पर लंबे समय से बीएमसी चुनाव में दोनों दलों की राहें अलग होने
के कयास लगाए जा रहे थे, जिस पर गुरूवार को शिवसेना सुप्रीमो ने मुहर लगा
दी।
एक सीनियर बीजेपी नेता ने बुधवार को कहा था,वैसे शिवसेना हमारे लिए 90-95
सीटें छोडने को राजी हो जाती, लेकिन फिर उन वाडों को लेकर बात नहीं बन
पाती जिनपर शिवसेना दावा कर रही है।
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नामांकन दाखिल करने का काम 27 जनवरी से शुरू हो जाएगा और 3 फरवरी तक
चलेगा, ऎसे में दोनों पक्षों के पास 227 वाडों में उम्मीदवारों के चयन के
लिए बहुत कम वक्त बचा है। हालांकि उद्धव और सीएम देवेंद्र फडणवीस, दोनों
गठबंधन के पक्ष में थे, लेकिन दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता साफ तौर पर एक
दूसरे के लिए कोई समझौता करने को राजी नहीं थे।
जो भी आखिरी फैसला हो, इसका असर प्रदेश के बाकी 9 स्थानीय निकाय के
चुनाव पर भी होगा। अगर मुंबई में गठबंधन नहीं हो रहा तो बाकी बचे 9 स्थानीय
निकायों और 25 जिला परिषदों में भी गठबंधन की संभावनाएं बहुत कम हो जाती
हैं।
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