संवाद और अभिनय का बेजोड मेल : रईस

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 25 जनवरी 2017, 11:42 AM (IST)

अरसे बाद शाहरुख खान ने अपने अभिनय से दर्शको को रोमांचित करने का प्रयास किया है। पूरी तरह से उन्हीं पर आधारित निर्देशक राहुल ढोलकिया की ‘रईस’ मध्यान्तर पूर्व दर्शकों को न सिर्फ रोमांचित करती है बल्कि बीच-बीच में आए संवादों पर तालियां बजाने पर मजबूर करती है। राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त निर्देशक राहुल ढोलकिया ने पहली बार किसी मसाला फिल्म का निर्देशन किया है। उन्होंने शाहरुख खान के किरदार को पूरी तरह से नकारात्मक रखा है और यही इस फिल्म की सबसे बडी खूबी है। ‘डॉन’ के लिए अपनी एक अलग पहचान बना चुके शाहरुख खान को अब निश्चित तौर पर ‘रईस’ के लिए याद किया जाएगा इसमें कोई दोराय नहीं है।

उन्होंने जिस अदा और अंदाज में अपने किरदार का निर्वाह किया है वह उन दिनों की याद दिलाता है जब वे दीवाना, डर, राम जाने जैसी फिल्मों में नजर आते थे। शाहरुख खान के बाद फिल्म का सबसे बडा आकर्षण हैं नवाजउद्दीन सिद्दीकी। मध्यान्तर तक जहां शाहरुख खान का पलडा अभिनय में भारी रहा है, वहीं मध्यान्तर बाद नवाजउद्दीन ने अपने अभिनय और संवादों से दर्शकों में सशक्त उपस्थिति दर्ज करवाई है। जब-जब इन दोनों का आमना-सामना होता है, दर्शकों रोमांचित होकर तालियां बजाते हैं। सहायक भूमिकाओं में अतुल कुलकर्णी, नरेन्द्र झा और जिशान ने अपने अभिनय से समा बांधा है।

कथानक के तौर पर फिल्म मात खा जाती है। कहानी बेहद साधारण है जिसमें कोई अलग पहलू नजर नहीं आता है। फिल्म की शुरूआत में शाहरुख खान के बचपन के दृश्य फिल्म की लंबाई बढाने का काम करते हैं। जवानी के दृश्यों में शाहरुख खान और माहिरा के दृश्य कोई असर नहीं छोडते बल्कि कहीं-कहीं तो वे पटकथा में बाधा बनते नजर आते हैं। फिल्म की पटकथा कसी हुई है। बैकग्राउंड स्कोर फिल्म को रोचक बनाता है, दृश्यों का फिल्मांकन प्रभावशाली है। इसके लिए निर्देशन के साथ-साथ छायाकार की तारीफ करनी होगी जिन्होंने दृश्यों को इतनी खूबसूरती के साथ कैमरे में कैद किया है।

फिल्म का संगीत पक्ष कुछ कमजोर रहा है। सिर्फ एक गीत ‘लैला मैं लैला’ ऐसा है जिस पर आगे की सीटों पर बैठने वाला दर्शक उठकर नाचने लगता है। बाकी सभी गीत ‘उडी-उडी जाए’, ‘जालिमा’ इत्यादि साधारण रह गए हैं। फिल्म की कहानी 80 के दशक की है और राहुल ढोलकिया ने उसे उसी अंदाज में पेश किया है।

फिल्म के सैट, सितारों का पहनावा और उनके किरदार। फिल्म में कोई खलनायक नहीं है चोर पुलिस की चूहा दौड में शाहरुख और नवाज दोनों ही नायकों की तरह हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि शाहरुख खान के साथ माहिरा हैं और नवाज अकेले।

कुल मिलाकर वर्ष की पहली शानदार शुरूआत है। उम्मीद है फिल्म बॉक्स ऑफिस पर 100 करोड का कारोबार करने में सफल होगी और शाहरुख खान के गिरते हुए करियर को एक बार फिर से संभालने का काम करेगी।

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