ज्योतिष शास्त्र ने बताया, क्यों होती है विवाह में देरी

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 21 जनवरी 2017, 12:41 PM (IST)

शादी कब होगी? यह एक ऐसा प्रश्न है जिसे हर युवा अपने युवावस्था के दौरान पूछता है जो शादी के योग्य हो चुका है। हमारे समाज के लिए यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। भारतीय समाज में बच्चें के जन्म के साथ ही माता पिता उसकी शादी के सपने संजोने लगते हैं। माता पिता उसके लिए योग्य वर या कन्या तलाशने लगते हैं। परन्तु यह तलाश जब लम्बी होने लगती है तो मन में प्रश्न उठने लगता है शादी कब होगी? यह संभव सी बात है। हम अक्सर सुनते आए हैं कि रिश्ते ईश्वर द्वारा निर्धारित करता हैं। लेकिन माता पिता अपने कर्तव्यों को पूरा करते हुए बच्चों के घर बसाने के लिए चिंता करते है। ग्रह की स्थिति अनुकूल होती है तो अपने आप उनकी चिंता का निवारण हो जाता है।


[# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]



[@ परीक्षा और इंटरव्यू में पानी हैं सफलता तो अपनाएं ये उपाय]

ज्योतिषीय शास्त्र में विवाह के विषय में सप्तम भाव और सप्तमेश के साथ विवाह के कारक बृहस्पति और शुक्र की स्थिति को देखा जाता है सप्तम भाव और सप्तमेश अशुभ ग्रहों के द्वारा पीड़ित हो अथवा कमजोर स्थिति में हो तो विवाह में विलम्ब की संभावना रहती है। लग्न और लग्नेश भी इस विषय में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
 


नाम का अक्षर बदलने से बदल सकता है भाग्य

क्या कहती है प्रश्न कुण्डली?  
अगर विवाह में विलम्ब हो रहा है और इसका कारण जानने के लिए प्रश्न कुण्डली देखते हैं तो पाएंगे कि गुरू जिस भाव में है उस भाव से चौथे घर में क्रमश: चन्द्रमा और शुक्र स्थित होंगे। अगर इस प्रकार की स्थिति नहीं है तो कई अन्य स्थितियों का भी जिक्र प्रश्न कुण्डली में किया गया है जिनसे मालूम होता है कि व्यक्ति की शादी में अभी विलम्ब की संभावना है जैसे लग्न से अथवा चन्द्र राशि से पहले, तीसरे, पांचवें, सातवें और दसवें घर में शनि बैठा हो। प्रश्न कुण्डली के छठे, आठवें अथवा द्वादश भाव में अशुभ ग्रहो की उपस्थिति भी इस बात का संकेत होता है कि जीवनसाथी को पाने के लिए अभी इंतजार करना होगा। सप्तम भाव में अशुभ ग्रह विराजमान हो और शनि अथवा मंगल अपने ही घर में आसन जमाकर बैठा हो तो यह समझना चाहिए कि जीवनसाथी की तलाश अभी पूरी नहीं हुई है यानी अभी विवाह में विलम्ब की संभावना है। सातवें घर में राहु और आठवें घर में मंगल भी इस तरह का परिणाम दिखाता हैं।



जिंदा है रावण की बहन सूर्पणखा, कर रही हैं कई चमत्कार

प्रश्न कुण्डली विवाह के विषय में सप्तम भाव के साथ ही द्वितीय और एकादश भाव से भी विचार करने की बात करता है। यही कारण है कि जब चन्द्रमा और शनि की युति प्रथम, द्वितीय, सप्तम अथवा एकादश भाव में होता है। तो प्रश्न कुण्डली विवाह में विलम्ब की संभावना को दर्शाता है। ज्योतिष की इस शाखा में मंगल को भी स्त्री की कुण्डली में विवाह कारक ग्रह के रूप में देखा जाता है। अगर कुण्डली में मंगल और शुक्र की युति पंचवें, सातवें अथवा ग्यारहवें भाव में बनती है और शनि उसे देखता है तो निकट भविष्य में विवाह की संभावना नही बनती है।
पके हुए तीन नींबू का यह टोटका आपके लिए लाएगा सौभाग्य