चुनाव आयोग के फैसले के बाद मुलायम-शिवपाल के पास बचे है अब ये विकल्प

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 17 जनवरी 2017, 08:54 AM (IST)

लखनऊ। समाजवादी पार्टी में वर्चस्व की लडाई को लेकर चल रहे विवाद पर चुनाव आयोग ने अपने फैसले की मुहर लगा दी। चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी और चुनाव चिह्न साइकिल पर अखिलेश यादव के दावे जायज ठहराया है। चुनाव आयोग के इस फैसले के साथ ही अखिलेश यादव का सब कुछ हो गया। चुनाव आयोग के इस फैसले से जहां अखिलेश यादव गुट में जीत की लहर है, वहीं पार्टी और चुनाव चिह्न पर दावे करने वाले मुलायम सिंह यादव को जोरदार झटका लगा है। मुलायम सिंह खेमा मायूस नजर आए। फैसला आने के तुरंत बाद अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम से मिलने गए और आशीर्वाद लिया। अखिलेश जानते थे कि उनका पक्ष मजबूत है शायद यही वजह थी कि सुलह की सारी कोशिशें नाकाफी साबित हुईं। अब मुलायम और शिवपाल के पास कुछ ही विकल्प बचे हैं।

- पहला विकल्प यह है कि वे चुनाव आयोग का फैसला मान लें और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर अपने बेटे अखिलेश यादव को आशीर्वाद दें। इसके अलावा आपातकालीन राष्ट्रीय अधिवेशन में दिए गए नए पद ‘पार्टी संरक्षक’ की जिम्मेदारी संभालें। इससे पार्टी भी मजबूत होगी और उनका राजनैतिक महत्व भी बरकरार रहेगा।

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- चुनाव चिह्न साइकिल पर अपना दावा पेश करने का अभी एक विकल्प नेताजी के पास बचा हुआ है। वे चाहें तो कोर्ट मे चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दे सकते हैं। लेकिन, मंगलवार से पहले चरण की नोटिफिकेशन जारी हो रही है ऐसे में मुलायम को इससे कोई फौरी राहत नहीं मिलेगी अलबत्ता यह जरूर हो सकता है कि साइकिल फ्रीज हो जाए। हालांकि दोनों पक्षों ने यह बात कही थी कि चुनाव आयोग का जो भी फैसला आएगा मान्य होगा।

- अगर मुलायम को अपने खेमे के साथ चुनावी मैदान में उतरना है तो मुलायम को अब नई पार्टी और चुनाव चिह्न के लिए चुनाव आयोग में गुहार लगानी होगी। मुलायम खेमा अगर नई पार्टी बनाता है तो इससे दोनों ही खेमों को विधानसभा चुनावों में नुकसान होगा।

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- सपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव अब केन्द्रीय राजनीति में जा सकते हैं। अखिलेश यादव पहले उन्हें कैबिनेट मंत्रिमंडल से और राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा चुके हैं। अब उनके पास आखिरी विकल्प के तौर पर केन्द्रीय राजनीति ही है।

- चुनाव आयोग के फैसले के बाद अब मुलायम और शिवपाल के पास आखिरी विकल्प के तौर पर युवा पीढ़ी को उत्तराधिकार सौंपने का रास्ता बचा हुआ है। मुलायम को अखिलेश पहले ही पार्टी का संरक्षक बना चुके हैं अब शिवपाल यादव को भी अपनी परंपरागत सीट जसवंतनगर सीट से अपने बेटे आदित्य यादव को चुनाव लड़वाना चाहिए।

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