पतंग उड़ाना भारतीय परम्परा का एक प्राचीन खेल है:चतुर्वेदी

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 13 जनवरी 2017, 11:06 PM (IST)

अजमेर। राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी ने शुक्रवार को वैशाली नगर स्थित बधिर विद्यालय में मूक एवं बधिर विद्यार्थियों के साथ पतंगबाजी कर खामोश लबों को मुस्कान प्रदान की।
हाथों के इशारों की सांकेतिक भाषा का उपयोग करने वाली अंगुलियों के इशारों पर पतंगे उड़ी इस दौरान बच्चो के साथ लोहड़ी पर्व भी मनाया। बधिर विद्यालय में चतुर्वेदी ने मूक एवं बधिर विद्यार्थियों के साथ लोहड़ी पर्व मनाया। बच्चों के साथ उन्होंने लोहड़ी के चारों ओर घूमते हुए विभिन्न खेल खेले तथा बालिकाओं ने नृत्य किया। इसके पश्चात उन्होंने चरखी पकड़ी और विद्यार्थियों ने पतंगबाजी की। उन्होंने कहा कि पतंग उड़ाना भारतीय परम्परा का एक प्राचीन खेल है। यह बच्चों को उड़ाना चाहिए। पतंग उड़ाते समय बच्चों के पास बड़ों को चरखी पकडक़र साथ रहने से पतंगबाजी का आनन्द दुगुना होने के साथ ही सावधानी रखी जा सकती है। पतंग उड़ाने से बच्चों को पांव जमीन पर रखते हुए आकाश पर नजर रखकर डोर हाथ में रखने का संदेश मिलता है। पतंगे दिल की मुस्कान होती है। उन्होंने आह्वान किया कि समस्त अजमेरवासियों को मकर संक्राति के दिन एक पतंग अवश्य उड़ानी चाहिए। खेलने से बच्चों में नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। बच्चों को टीवी, वीडियो गेम, कम्प्यूटर तथा मोबाईल की आभासी दुनिया से बाहर आकर प्रकृति के साथ समय बिताना चाहिए।

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